रांची. राज्य में लिंगानुपात में आ रहे अंतर को पाटने के लिए रेडियोलॉजी और सोनोग्राफी सेंटरों पर एनजीओ अब नजर रखेंगे. स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं ने जिलों को पत्र लिखकर पीसी पीएंडडीटी कार्यक्रम के तहत जिला अनुश्रवण समिति में उसे शामिल करने का निर्देश दिया है. एनजीओ चोरी-छुपे संचालित हो रहे अल्ट्रासाउंड सेंटरों और कन्या भ्रूण हत्या के लिए लोगों को प्रेरित करने वाले सोनोग्राफी सेंटरों पर भी नजर रखेंगे. इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से एनजीओ-पीएंडडीटी स्कीम शुरू की गयी है. एनजीओ कन्या भ्रूण हत्या रोकने तथा बेटियों की संख्या बढ़ाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलायेंगे. इनकी रिपोर्ट सीधे केंद्र सरकार को भेजी जायेगी. उसके बाद ऐसे सेंटरों पर सीधी कार्रवाई की जा सकेगी.
जहां बेटियों की संख्या कम, वहां पहले शुरू होगी योजना
यह योजना पहले उन जिलों में शुरू की जायेगी, जहां प्रति हजार मेल चाइल्ड के मुकाबले बेटियों की संख्या बहुत कम है. दरअसल पिछले कुछ सालों में लगातार शिशु लिंगानुपात में हो रही कमी के चलते सितंबर 1994 में पीसीपीएनडीटी एक्ट लागू किया गया था. लेकिन इसे और प्रभावी बनाने के लिए इसी एक्ट के तहत एनजीओ-पीएनडीटी स्कीम लागू किया जा रहा है.क्या है एनजीओ पीएनडीटी स्कीम
राज्य में जहां भी चाइल्ड सेक्स रेशियो कम, मातृ मृत्यु दर अधिक और जहां भी डाइग्नोसिस सेंटर की संख्या अधिक है, वहां इस स्कीम को पहले लागू किया जायेगा. रांची जिला में 279 अल्ट्रासांउड रेडियोलॉजी सेंटर संचालित हो रहे हैं. इसके अलावा इस स्कीम में राज्य सरकार की ओर से चयनित एनजीओ जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर लोगों को कन्या भ्रूण हत्या रोकने व बेटियों को बचाने के लिए जागरूक करेगी.हार्ड कॉपी जमा करनी होगी
हर महीने एक से पांच तारीख तक हार्ड कॉपी को जिला पीसी एंड पीएंडटी कार्यालय में जमा कराने साथ ही एक कॉपी अपने सेंटर या क्लिनिक में सुरक्षित रखने के निर्देश दिए हैं. इसके लिए प्रत्येक महीना एक से पांच तारीख तक का वक्त निर्धारित किया गया है. विभाग की जिला स्तरीय टीम ने इस मामले को उच्चाधिकारियों के पास भेज दिया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है