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गिरिडीह के नीरज मुर्मू को मिला डायना अवार्ड, सीएम हेमंत सोरेन ने दी बधाई

Jharkhand news :गिरिडीह जिला के दुलियाकरम बाल मित्र ग्राम का पूर्व बाल मजदूर नीरज मुर्मू (अब 21 वर्ष) को ब्रिटेन का प्रतिष्ठित डायना अवार्ड से सम्मानित किया गया है. नीरज पहले बाल मित्र था. 10 साल की उम्र से ही नीरज अपने परिवार का पेट पालने के लिए अभ्रक खदान में बाल मजदूरी करता था. कैलाश सत्यार्थी का बचपन बचाओ आंदोलन की उस पर नजर पड़ी और नीरज का जीवन बदल गया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नीरज को बधाई दी है.

Jharkhand news : रांची : कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेंस फाउंडेशन द्वारा संचालित गिरिडीह जिले के दुलियाकरम बाल मित्र ग्राम के पूर्व बाल मजदूर नीरज मुर्मू (अब 21 वर्ष) को ब्रिटेन का प्रतिष्ठित डायना अवार्ड से सम्मानित किया गया है. नीरज पहले बाल मित्र था. 10 साल की उम्र से ही नीरज अपने परिवार का पेट पालने के लिए अभ्रक खदान में बाल मजदूरी करता था. कैलाश सत्यार्थी का बचपन बचाओ आंदोलन की उस पर नजर पड़ी और नीरज का जीवन बदल गया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नीरज को बधाई दी है.

कैलाश सत्यार्थी को रिट्वीट करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि नीरज मुर्मू की उपलब्धि पूरे झारखंड के लिए गौरव का क्षण है. बच्चों के साथ सामाजिक बदलाव लाने वाले शिक्षक के लिए दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी बनने की उनकी यात्रा एक प्रेरणादायक कहानी है. कैलाश जी के मार्गदर्शन में उत्कृष्ट बनने वाले नीरज को मेरी ओर से शुभकामना है.

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किसको मिलता अवार्ड

डायना अवार्ड 9 से 25 उम्र के वैसे युवा को दिया जाता है, जिसने अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय देते हुए सामाजिक बदलाव में असाधारण योगदान दिया हो. इसी कड़ी में गिरिडीह जिले के दुलियाकरम बाल मित्र ग्राम के नीरज को इस अवार्ड से सम्मानित किया गया. नीरज को यह सम्मान डिजिटल माध्यम से दिया गया. इस अवार्ड के लिए विश्व के 25 बच्चों में नीरज का भी चयन हुआ, जो गौरव की बात है.

कैसे मिला अवार्ड

अपने परिवार का भरण पोषण के लिए नीरज 10 साल की उम्र में अभ्रक के खदानों में काम करने लगा था. इसकी जानकारी जब बचपन बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं को हुई, तो उन्होंने नीरज को बाल मजदूरी से मुक्त कराया. इसके बाद से ही नीरज का जीवन बदल गया. नीरज बचपन बचाओ आंदोलन के साथ मिल कर बाल मजदूरी के खिलाफ आंदोलन छेड़ा. इस दौरान करीब 20 बाल मजदूरों को अभ्रक खदानों से मुक्‍त भी कराया है.

पढ़ाई की महत्ता को जानते हुए बाल मजदूरों के खिलाफ आंदोलन छेड़ने के दौरान ही नीरज ने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी. साथ ही कई बाल मजदूरों को स्कूलों में भर्ती भी कराया. ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान ही नीरज ने दुलियाकरम गांव में एक स्कूल शुरू किया. इस स्कूल में करीब 200 बच्चों को शिक्षित करने में नीरज जुटा है.

क्या है बाल मित्र ग्राम

बाल मित्र ग्राम का आशय ऐसे गांवों से है, जहां 6 से 14 साल के सभी बच्चे बाल मजदूरी से मुक्त होते हुए स्कूल जाते हों. साथ ही बाल पंचायत का ग्राम पंचायत के बीच बेहतर तालमेल हो. बाल मित्र ग्राम में बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ नेतृत्व क्षमता विकसित करने पर जोर दिया जाता है. नीरज का गांव दुलियाकरम भी बाल मित्र ग्राम है.

Posted By : Samir ranjan.

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