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झारखंड में सामान्य वर्ग के बच्चे राष्ट्रीय औसत से बेहतर, गणित व विज्ञान विषय में कमजोर- रिपोर्ट

झारखंड के सामान्य वर्ग के छात्र राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर है. वहीं उच्च शिक्षा में अनुसूचित जाति, जनजाति के छात्रों का भी प्रदर्शन राष्ट्रीय स्तर के बराबर है.

रांची: झारखंड के सामान्य वर्ग के बच्चे पढ़ाई में अपने वर्ग के बच्चों से राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर हैं. राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार, प्राथमिक कक्षा को छोड़ दिया जाये, तो हाइस्कूल में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व ओबीसी बच्चों का प्रदर्शन भी राष्ट्रीय स्तर के बराबर है.

रिपोर्ट के अनुसार, कक्षा बढ़ने के साथ बच्चे पढ़ाई में कमजोर होते जाते हैं. राष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ झारखंड में अागे की कक्षा में जाने के लिए सही उत्तर देने वाले बच्चों की संख्या कम होती चली जाती है. गणित व विज्ञान की पढ़ाई में बच्चे आगे बढ़ने के साथ कमजोर होते चले जाते हैं.

कक्षा तीन व पांच में गणित व विज्ञान में सही उत्तर देने वाले बच्चों की संख्या 50 फीसदी से अधिक है. जबकि, आठवीं व 10वीं में यह 40 व 30 फीसदी तक पहुंच जाता है. झारखंड के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी सही उत्तर देने वाले बच्चों की संख्या में कमी आयी है.

सभी कोटि के स्कूलों में सर्वे :

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2021 की राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे परीक्षा लेने की जिम्मेदारी सीबीएसइ को दी थी. सर्वे में राज्य के सरकारी विद्यालयों के साथ-साथ मान्यता प्राप्त निजी विद्यालय, सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालय व केंद्रीय विद्यालय के बच्चे शामिल हुए थे. कक्षा तीन व पांच में तीन-तीन विषय की और आठवीं व 10वीं के विद्यार्थियों की पांच-पांच विषय की परीक्षा ली गयी थी.

95 फीसदी बच्चों को पसंद है स्कूल जाना

सर्वे में बच्चों के स्कूल जाने को लेकर भी प्रश्न पूछा गया था. सभी कक्षाओं में 95 फीसदी से अधिक बच्चों ने बताया कि उन्हें स्कूल जाना पसंद है. कक्षा तीन व पांच के 97, कक्षा आठवीं व 10वीं के 98 फीसदी विद्यार्थियों ने कहा कि उन्हें स्कूल जाना पसंद है.

स्कूल में 80 फीसदी बच्चे मातृ भाषा का करते हैं प्रयोग

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में कक्षा तीन के 83 फीसदी, कक्षा पांच के 81, कक्षा आठ के 76 व कक्षा 10 के 77 फीसदी बच्चे आपस में बातचीत के लिए मातृभाषा का प्रयोग करते हैं.

96% बच्चों ने कहा : समझ में आती है शिक्षकों की बात

कक्षा तीन, पांच व आठवीं के 96 फीसदी व कक्षा 10वीं के 97 फीसदी बच्चों ने कहा कि उन्हें कक्षा में शिक्षकों की बात समझ में आ जाती है.

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Posted By: Sameer Oraon

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