मैथिली महिलाओं ने की रवि व्रत की शुरुआत, 26 अप्रैल को होगा समापन
रांची. मैथिली भाषी लोगों का छह महीने का रवि व्रत शुरू हो गया है. रविवार को व्रतियों ने सुबह में पूजा घर और आंगनों की साफ-सफाई की. इसके बाद स्नान-ध्यान कर भगवान सूर्य को अर्घ अर्पित किया. इसके लिए घरों में ठेकुआ, खीर, रोटी, पुआ, पूरी सहित अन्य प्रसाद पदार्थ तैयार किये गये. पूजा के लिए केला सहित विभिन्न फल लाकर केले के पत्ते में सजा-संवार कर भगवान की पूजा-अर्चना की गयी और व्रत की कथा सुनी गयी. भगवान को खीर, रोटी, केला समेत अन्य नैवेद्य अर्पित कर सभी के मंगल की कामना की गयी. इसके बाद व्रतियों ने नैवेद्य ग्रहण किया और प्रसाद के रूप में उसका वितरण किया. मालूम हो कि यह व्रत वैशाख मास में 26 अप्रैल को समाप्त होगा. तब तक व्रती प्रत्येक रविवार नमक का त्याग करती हैं. कई महिलाएं हर रविवार को व्रत रखती हैं, जबकि कुछ पूरे छह महीनों में केवल शुक्ल पक्ष की एक संध्या का व्रत करती हैं. कुछ स्थानों पर महिलाओं के साथ पुरुष भी यह व्रत करते हैं. अंजू झा ने बताया कि वह पिछले 25 वर्षों से यह व्रत कर रही हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें बचपन से ही यह व्रत करते हुए परिवार की महिलाओं को देखा है.विवाह के बाद ससुराल में भी सासू मां और अन्य महिलाओं को यह व्रत करते देखा, जिसके बाद उन्होंने स्वयं इसे शुरू किया. उन्होंने बताया कि गुड़ की खीर, ठेकुआ, पांच तरह के फल और सूखे मेवे से नैवेद्य तैयार कर भगवान से सबके कल्याण की प्रार्थना की, फिर नैवेद्य ग्रहण कर प्रसाद का वितरण किया. इससे पूर्व उन्होंने भगवान से प्रार्थना की कि छह महीनों तक यह व्रत सुचारू रूप से संपन्न हो.
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