रांची. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) के तहत ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर व मोबलाइजर को हटाने तथा इनके स्थान पर आउटसोर्सिंग से बहाली का मामला कानूनी पेंच में फंस गया है. सरकार ने आउटसोर्सिंग के माध्यम से कुछ जिलों में 20 सितंबर को ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर की बहाली की है. इससे पहले इस मामले को लेकर ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर व मोबलाइजरों के वकील सूर्य हर्ष मिश्रा ने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के प्रधान सचिव, अभियंता प्रमुख और राज्य के सभी जिलों के उपायुक्तों को लीगल नोटिस भेजा है. साथ ही आउटसोर्सिंग के माध्यम से की गयी बहाली को रद्द करने की मांग की है. कहा गया है कि ऐसा नहीं करने पर उनके मुवक्किल झारखंड हाइकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल कर कानूनी कार्रवाई करने को बाध्य होंगे. नोटिस में कहा गया है कि राज्य के विभिन्न प्रखंडों में स्वच्छ भारत मिशन के तहत ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर और सोशल मोबलाइजर के रूप में पिछले 10-15 वर्षों से अनुबंध पर कार्यरत हैं. 12 सितंबर 2024 को पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के प्रधान सचिव की ओर से वर्तमान कार्यरत कर्मचारियों को हटाकर आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से नयी नियुक्ति का निर्देश दिया गया था. विभाग के इस फैसले के खिलाफ ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर व सोशल मोबलाइजरों ने हाइकोर्ट में याचिका दायर की है, जो न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है. कहा गया है कि रामगढ़ जिले में इसी प्रकार की कार्रवाई को हाइकोर्ट ने स्थगित कर दिया था. इसके बाद रामगढ़ के उपायुक्त द्वारा की गयी सभी अवैध नियुक्तियां निरस्त कर दी गयी थीं. देवघर जिले के मामले में भी अदालत की ओर से यही आदेश दिया गया है. अन्य मामलों में कार्यवाही लंबित है. अदालत ने इन मामलों में सरकार से जवाब मांगा है. ऐसे में वर्षों से निरंतर कार्यरत अनुबंधकर्मियों को मनमाने ढंग से हटाकर आउटसोर्सिंग के माध्यम से की गयी नियुक्तियां अवैध हैं.
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