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झारखंड: अनिल, सुखराम और राजेंद्र के घरों में खुशी का माहौल, न ठीक से खा रहे थे खाना न ही सो रहे थे

जैसे ही सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने की प्रक्रिया की सूचना मिली, खीराबेड़ा गांव की हलचल तेज हो गयी. इस गांव में परिवार के पास दूसरे गांव के लोग भी पहुंचने लगे

रांची : ओरमांझी के खीराबेड़ा ग्राम का माहौल मंगलवार को उस वक्त बदल गया, जब 16 दिन बाद देर शाम को उत्तराखंड के उत्तरकांशी के सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को सकुशल रेस्क्यू कर निकाल लिया गया. इस गांव में रहनेवाले तीन मजदूर अनिल बेदिया, सुखराम बेदिया और राजेंद्र बेदिया भी 16 दिनों तक सुरंग में फंसे हुए थे. इस घटना के बाद से ही खीराबेड़ा गांव में मातम का माहौल था. परिवार की हालत यह थी कि रोज वे अपने घरों के चिराग की सकुशल वापसी की मन्नते मांग रहे थे.

इतने दिनों तक तीन परिवार के लोग न ठीक से खाना खा रहे थे और न ही सो पा रहे थे. मंगलवार की सुबह जैसे ही उन्हें सूचना मिली कि सुरंग में फंसे लोगों को निकालने की प्रक्रिया अंतिम चरण पर है, पूरे परिवार के चेहरे खुशी से चमकने लगे. घर के बड़े जहां अपने बच्चों को एक झलक देखने को लालयित दिखे, वहीं बच्चे समेत अन्य सदस्य टीवी और मोबाइल पर राजेंद्र बेदिया, सुखराम बेदिया और अनिल बेदिया को एक झलक देखने के लिए नजरें गड़ाये हुए थे. रात आठ बजे जैसे ही उन्हें जानकारी मिली कि सुरंग से मजदूरों को निकाला जाने लगा, तीनों के घरों पर ग्रामीणों की भीड़ लग गयी.

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सुबह से ही गांव में मीडियावालों की लगी रही भीड़:

इधर, जैसे ही सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने की प्रक्रिया की सूचना मिली, खीराबेड़ा गांव की हलचल तेज हो गयी. इस गांव में परिवार के पास दूसरे गांव के लोग भी पहुंचने लगे, वहीं मीडियावालों की भी भीड़ लग गयी. पूरे गांव में मिठाइयों का बंटने का सिलसिला शुरू हो गया परिवार के लोगों के बीच मिठाइयां बांटी जाने लगी. हाालांकि शाम ढलने तक परिवार कुछ मायूस जरूर हुए, लेकिन मजदूरों को निकालने जाने के बाद उनके चेहरे खिल उठे.

16 दिन बाद फूलकुमारी के चेहरे पर देखी गयी खुशी:

सुरंग में फंसे राजेंद्र बेदिया की मां फूलकुमारी देवी के चेहरे पर मंगलवार की देर शाम अजीब खुशी देखी गयी. उनका इकलौता बेटा राजेंद्र जिंदगी मौत के बीच इतने दिनों तक जूझता रहा. फूलकुमारी के साथ दिव्यांग पिता श्रवण के चेहरे पर भी खुशी थी. वह भगवान को शुक्रिया कर रहे थे. फूलकुमारी ने कहा कि इकलौते चिराग को भगवान ने दोबारा लौटाया है. उसे सबकुछ मिल गया है. परिवार के लोग कह रहे थे कि राजेंद्र के आने पर हम घर पर दीवाली मनायेंगे.

मन बचैन था, आज मिला सुकून: संजू:

अनिल बेदिया की मां संजू देवी के चेहरे इतने दिनों बाद खिल रहे थे. संजू ने बताया अनिल के सुरंग में फंसे होने की सूचना मिलने पर उसका बड़ा बेटा सुनील महिला समिति से 15 हजार रुपये का कर्ज लेकर वहां गया है. बस किसी तरह मेरा बेटा सकुशल वापस आ जाये. संजू कह रही थी: बेटे का चेहरा देख वह अच्छा से खाना खा पायेगी. घर के अन्य सदस्य कह रहे थे कि इतने दिनों की बेचैनी के बाद आज मन शांत हुआ है. बेटे के घर आने के बाद खुशियां मनायी जायेगी.

Prabhat Khabar News Desk
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