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अंदरूनी कलह से अब तक उबर नहीं सकी कांग्रेस, अध्यक्ष के खिलाफ ही हुई बगावत

झारखंड कांग्रेस पार्टी के नेता अध्यक्ष के खिलाफ भी बयानबाजी कर रहे हैं. प्रदेश अध्यक्ष पर पूर्व प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह का आदमी होने का भी आरोप लगा. आरपीएन सिंह भाजपा में चले गये, तो हमला और तेज हुआ.

आनंद मोहन, रांची: प्रदेश कांग्रेस अपनी ही पार्टी के विधायकों व नेताओं के अंदरूनी कलह से उबर नहीं पा रही है. पार्टी के अंदर एक विवाद खत्म नहीं होता है, तब तक नया खड़ा हो जाता है. इसमें प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर भी लाचार नजर आये. नये प्रदेश अध्यक्ष का पदभार ग्रहण के साथ ही श्री ठाकुर पर आरोप लगने का सिलसिला शुरू हो गया.

पार्टी के नेता अध्यक्ष के खिलाफ भी बयानबाजी कर रहे हैं. प्रदेश अध्यक्ष पर पूर्व प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह का आदमी होने का भी आरोप लगा. आरपीएन सिंह भाजपा में चले गये, तो हमला और तेज हुआ़ विधायकों के कैश कांड में फंसने की वजह से महागठबंधन में पार्टी कठघरे में भी खड़ी हुई. पार्टी के एक विधायक अनूप सिंह ने कैश कांड को लेकर थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी.

इसके बाद पार्टी के तीन विधायक इरफान अंसारी, नमन विक्सल कोंगाड़ी व राजेश कच्छप को जेल भी जाना पड़ा. इसके बाद पार्टी ने तीनों विधायकों को निलंबित किया. साथ ही विधानसभा में इनकी सदस्यता समाप्त करने को लेकर आवेदन दिया. इतना होने के बावजूद प्रदेश प्रभारी बैठक कर औपचारिकता पूरी कर रहे हैं. बागी नेताओं से लेकर विधायकों तक पार्टी कोई कार्रवाई नहीं कर रही है.

इधर पार्टी ने जिला अध्यक्षों के नामों की घोषणा विवाद शुरू हो गया. अल्पसंख्यक को जगह मिली और न ही किसी दलित को. किसी महिला को भी जगह नहीं मिली. विवाद बढ़ता देख आनन-फानन में सूची बदली गयी. दो अल्पसंख्यकों को जिला अध्यक्ष बनाया गया. न किसी दलित को जगह मिली, न किसी महिला को.

कांग्रेस : पांच साल बाद बनी कमेटी, हुई फजीहत

प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के कार्यकाल में पांच साल कमेटी का विस्तार हुआ, लेकिन कमेटी बनते ही फजीहत शुरू हो गयी. कमेटी के गठन पर ही सवाल उठने लगे. कई सदस्यों ने तो कमेटी से इस्तीफा देकर प्रदेश नेतृत्व पर सवाल खड़ा कर दिया. साथ ही वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में काम करने से इनकार कर दिया.

यही नहीं, इसके बाद खुल कर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ मीडिया में बयानबाजी की. इसके प्रदेश अनुशासन समिति सक्रिय हुई. बयान देने वाले नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किया. इसके बाद प्रदेश प्रभारी व प्रदेश अध्यक्ष के पास चार नेताओं को पार्टी से निष्कासित करने की अनुशंसा की. अभी भी यह मामला विचाराधीन है.

आदिवासी नेता को अध्यक्ष बनाने की मांग

प्रदेश कांग्रेस के अंदर अब भी नेतृत्व पर सवाल उठाये जा रहे हैं. पार्टी का एक खेमा प्रदेश में अध्यक्ष की बागडोर किसी आदिवासी नेताओं को देने की मांग कर रहा है. इसको लेकर केंद्रीय नेतृत्व तक भी बात पहुंचायी गयी है. पार्टी में अलग-अलग आदिवासी नेताओं को नेतृत्व सौंपने का दावा किया जा रहा है.

20 सूत्री में पद मिलने के बाद भी असंतोष, बोर्ड-निगम को लेकर पेंच

हेमंत सोरेन के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद के पार्टी नेताओं की भागीदारी सुनिश्चित करने को लेकर कवायद शुरू की गयी. लगभग दो साल के मशक्कत के बाद घटक दलों के कार्यकर्ताओं को सीट बंटवारे को लेकर सहमति बनी. 20 सूत्री व 15 सूत्री कमेटी में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को समायोजित किया गया, लेकिन कई नेताओं ने उचित पद नहीं मिलने पर पद छोड़ दिया. तीन वर्ष बाद भी बोर्ड-निगम का बंटवारा नहीं हो पाया है. हालांकि केंद्रीय नेतृत्व के पास कुछ नेताओं के नाम की अनुशंसा भेजी गयी है, लेकिन इसमें भी पेंच फंस गया है.

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