मनोज सिंह, रांची. झारखंड में सिर्फ 11.3 फीसदी महिलाओं के नाम खेती योग्य जमीन है. जबकि, किसानी में महिलाओं की भागीदारी 80 फीसदी से अधिक है. इसके बावजूद यहां महिलाओं के नाम खेती योग्य जमीन राष्ट्रीय औसत से करीब दो फीसदी कम है. पूरे देश में करीब 13.96 फीसदी महिलाओं के नाम खेती योग्य जमीन है. हालांकि, आसपास के राज्यों की तुलना में झारखंड की महिलाओं की स्थिति अच्छी है. बिहार में 14 फीसदी व पश्चिम बंगाल में सिर्फ 3.2 फीसदी महिलाओं के नाम खेती योग्य जमीन है. नीति आयोग द्वारा हाल में जारी आंकड़ों के मुताबिक, ओडिशा में 4.1, छत्तीसगढ़ में 13.1 तथा उत्तर प्रदेश में 7.6 फीसदी महिलाओं के नाम खेती योग्य जमीन है. सबसे अधिक महिलाओं के नाम खेती योग्य जमीन लक्ष्यद्वीप में है. वहां करीब 41 फीसदी महिलाओं के नाम खेती योग्य जमीन है. वहीं, मेघालय में 34.2 फीसदी महिलाओं के नाम खेती योग्य जमीन है. नीति आयोग ने भी खेती योग्य जमीन पर महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने को अपने एजेंडे में रखा है.
करीब दो लाख महिलाओं के नाम है केसीसी
झारखंड में 32 लाख से अधिक किसान परिवार हैं, जो राज्य की फसल बीमा योजना से जुड़े हैं. इसमें करीब 13.16 महिलाएं हैं. बीमा योजना में इनकी भागीदारी करीब 41 फीसदी के आसपास है. प्रधानमंत्री सम्मान निधि से भी करीब 30 लाख किसान जुड़े हैं. इसमें जमीन और बिना जमीन वाले किसान भी हैं. राज्य में करीब 20 लाख किसान क्रेडिट कार्डधारी हैं. इसमें 15 लाख एक्टिव केसीसी होल्डर हैं. इसमें करीब दो लाख महिलाओं के नाम किसान क्रेडिट कार्ड जारी है. राज्य में करीब 60 हजार लोग झारखंड मिल्क फेडरेशन से जुड़े हैं. इसमें 40 फीसदी महिलाएं हैं, जो सीधे दूध के कारोबार से जुड़ी हैं.
किसान सभा ने सम्मेलन के एजेंडे में किया शामिल
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़ी अखिल भारतीय किसान सभा का सम्मेलन 15 से 17 अप्रैल को तमिलनाडु में हो रहा है. सभा ने महिलाओं को खेती योग्य जमीन पर स्वामित्व को मुद्दे में शामिल किया है. सभा के राष्ट्रीय सचिव केडी सिंह ने कहा कि सम्मेलन में इस पर चर्चा होगी. सभी राज्यों से आग्रह किया जायेगा कि ऐसी योजना तैयार करें, जिससे महिलाओं की खेती योग्य जमीन पर हिस्सेदारी मिल सके. उनका स्वामित्व मिल सके. झारखंड जैसे राज्य में महिलाओं की खेती-किसानी में बहुत भागीदारी है. लेकिन, हिस्सेदारी अपेक्षाकृत कम है.
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