28.7 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

लेटेस्ट वीडियो

जागृति विहार के भीतर धड़ल्ले से काटे जा रहे पेड़

Advertisement

पिछले 50 वर्षों से मैक्लुस्कीगंज का गौरवशाली इतिहास के रूप में पूरी दुनिया में विख्यात स्वयंसेवी संस्था जागृति विहार अब उजड़ने लगा है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Advertisement

जिम्मेदारों की लापरवाही से हो रही हरे पेड़ों की कटाई

पर्यावरण प्रेमी संस्था के रूप में देश-विदेश में है विख्यात

कार्रवाई के नाम पर मूकदर्शक बना वन विभाग

प्रतिनिधि, डकरा

पिछले 50 वर्षों से मैक्लुस्कीगंज का गौरवशाली इतिहास के रूप में पूरी दुनिया में विख्यात स्वयंसेवी संस्था जागृति विहार अब उजड़ने लगा है. जिस संस्था को प्रकृति प्रेमी के रूप में जाना जाता रहा है उसी संस्था की चहारदीवारी के भीतर बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की जा रही है. जबकि पिछले चार-पांच दशक में जो भी विदेशी मैक्लुस्कीगंज आते रहे हैं उसका कनेक्शन जागृति विहार से ही जुड़ा रहा और इसी संस्था को देखने-समझने के लिए आते रहे हैं. मैक्लुस्कीगंज में एंग्लो-इंडियन, आर्मी के बड़े अधिकारियों और बंगला फिल्म स्टारों के बसने-उजड़ने के दौरान वर्ष 1974 में लपरा पंचायत के जोभिया गांव में 25 एकड़ में प्रो एसएन उपाध्याय ने जागृति विहार की स्थापना की थी. प्रकृति प्रेम, ग्रामीणों को स्वरोजगार से जोड़ने का अभियान, बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक, समाजसेवी, शिक्षाविदों का लगातार यहां आने-जाने से जोभिया गांव को लोग जागृति विहार के नाम से जानने लगे. प्रो एसएन उपाध्याय दुनिया के कई देशों में व्याख्यान देने के बदले जो आय होती थी उसे इस संस्था के माध्यम से समाजसेवा के लिए खर्च करते थे. 12 दिसंबर 2018 को उनका निधन हो गया. निधन के बाद अचानक कई तरह के बदलाव दिखाई देने लगे, अस्पताल, कई तरह के ट्रेनिंग सेंटर, नर्सरी, स्वरोजगार के साधन आदि बंद कर दिये गये और अब इसके भीतर पेड़ों की कटाई ने ग्रामीणों को चिंता में डाल दिया है. पेड़ कटने के अलावा यहां सड़क बनायी जा रही है. जैसे जमीन की प्लाॅटिंग कराने की तैयारी की जा रही हो. भीतर एक स्कूल अभी भी चल रहा है उसको लेकर भी लोगों में चिंता है.

विदेशी सहयोग से स्थापित हुई है संस्था

सोसायटी एक्ट से पंजीकृत जागृति विहार फोरेन कंट्रिव्यूशन रेगुलेशन के तहत पंजीकृत है. जानकार बताते हैं कि प्रो एसएन उपाध्याय अविवाहित थे और संस्था को वह सामाजिक संपत्ति बताते थे. इसके अलावा विदेशी कनेक्शन और आर्थिक सहयोग के कारण साधारण तरीके से इसकी जमीन को बेचना या व्यावसायिक इस्तेमाल में कई कानूनी अड़चन है. इसके बावजूद जो कुछ दिखाई दे रहा है उसको लेकर क्षेत्र में कई तरह की चर्चा है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement

अन्य खबरें

Advertisement
Advertisement
ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snaps News reels