रांची. लेखक-निर्देशक अरण्य सहाय की हिंदी फीचर फिल्म ‘ह्यूमंस इन द लूप’ व्यावसायिक तौर पर रांची के पीवीआर न्यूक्लियस मॉल में रिलीज हुई. यह एक उरांव आदिवासी महिला की कहानी है, जो झारखंड के एक दूरस्थ डेटा लेबलिंग सेंटर में काम करते हुए एआइ से जुड़ना शुरू करती है. सालों तक अपने समुदाय के प्रति गहरे पूर्वाग्रहों से भरे ताने और अपमानजनक संबोधनों को सहने के बाद, नेहमा अपने दो बच्चों सहित पति से अलग होने का एक कठिन निर्णय लेती है. सुकून और नयी शुरुआत की तलाश में वह अपने बच्चों के साथ अपने पैतृक गांव लौट आती है. परिवार का पालन-पोषण करने के लिए वह एक एआइ कंपनी में डेटा लेबलर का काम करती है, जो एल्गोरिद्म को वस्तुओं की पहचान और उनमें अंतर करना सिखाती है. नेहमा को यह समझ में आने लगता है कि एआइ प्रणालियों में भी सूक्ष्म, लेकिन लगातार मौजूद मानवीय पूर्वाग्रह छिपे हैं. यह खोज उसे यह प्रश्न करने पर मजबूर करती है कि क्या तकनीक कभी सचमुच एक आदिवासी दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित कर सकती है.
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