रांची़ वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सचिव अबु बक्कर सिद्दीख ने कहा है कि हमारे पूर्वजों ने जैसा वातावरण छोड़ा था, उसमें रह रहे हैं. उनके बनाये वातावरण को खराब कर रहे हैं. हम लोगों को आने वाली पीढ़ी के लिए भी ऐसा वातावरण छोड़कर जाना है, जहां लोग शांति और खुशी से रह सकें. इसमें आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरण संबंधी अच्छी व्यवस्था जरूरी है. सचिव बुधवार को राजधानी में 30 सिविल सोसाइटी द्वारा गठित सारथी जस्ट ट्रांजिशन नेटवर्क की लॉन्चिंग के मौके पर बोल रहे थे.
सचिव ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि आने वाले समय में हमलोगों को ग्रीन एनर्जी में जाना है. इसके कई प्रभाव भी पड़ेंगे. इसको लेकर अभी से तैयारी जरूरी है. इसमें इन संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होगी. अगर हम लोगों ने अभी से जस्ट ट्रांजिशन वाले विषय पर काम करना शुरू कर दिया तो यह मॉडल राज्य होगा.काफी संभावना है झारखंड में
चंदनकियारी के विधायक उमाकांत रजक ने कहा कि झारखंड प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण राज्य है. यहां के वनोत्पाद की प्रोसेसिंग नहीं हो पाती है, इस कारण ग्रामीणों को पर्याप्त लाभ नहीं मिल पाता है. नाबार्ड के सीजीएम गौतम कुमार सिंह ने कहा कि कार्बन फूटप्रिंट कम करने की दिशा में संस्थान काम कर रहा है. इससे जुड़ी कई स्कीम को सहयोग दिया जा रहा है. एपीसीसीएफ रवि रंजन ने कहा कि इस काम में वन विभाग की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो सकती है. वन आधारित आजीविका एक महत्वपूर्ण कड़ी का काम कर सकता है.सामूहिक प्रयास करना होगा
झारखंड जस्ट ट्रांजिशन टास्कफोर्स के चेयरमैन एके रस्तोगी ने कहा कि झारखंड के कार्बन उत्सर्जन नेट जीरो करना चुनौतीपूर्ण काम है. 18 जिलों में फॉसिल फ्यूल है. इसमें 12 जिलों में कोयला है. इससे बड़ी आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ी है. नेट जीरो लक्ष्य प्राप्त करने के लिए जो प्रयास होगा, उसमें इन जिलों के लोगों के बारे में सोचना होगा. इनकी आजीविका के बारे में सोचना होगा. काम चुनौतीपूर्ण है, लेकिन सामूहिक करने से ही सफलता मिल सकती है. अतिथियों का स्वागत फिया फाउंडेशन के जॉनसन टोपनो ने किया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

