रांची. विधायक सरयू राय ने आयुष्मान घोटाले में झारखंड सरकार के स्वास्थ्य विभाग की संलिप्तता का एक नया पहलू उजागर किया है. श्री राय के अनुसार, स्वास्थ्य विभाग ने जानबूझकर वैसे सरकारी चिकित्सकों पर कोई कार्रवाई नहीं की, जो नियम विरुद्ध आयुष्मान से सूचीबद्ध निजी अस्पतालों के साथ कार्य कर रहे थे. उन्होंने कहा कि झारखंड स्टेट आरोग्य सोसाइटी के तत्कालीन कार्यकारी निदेशक डॉ भुवनेश प्रताप सिंह ने झारखंड सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक प्रमुख से तीन अगस्त 2022 को पत्र लिखा. पत्र के माध्यम से अनुरोध किया था कि वे सरकारी नेत्र चिकित्सकों एवं गैर नेत्र चिकित्सकों द्वारा पदस्थापित अस्पताल के अतिरिक्त निजी सूचीबद्ध अस्पतालों में किये जा रहे कार्य की तथ्यात्मक जांच करा कर जांच प्रतिवेदन शीघ्र उपलब्ध करायें. इस पत्र में उन्होंने कहा कि सरकार के निर्देश पत्रांक 866(3) दिनांक 15 जुलाई 2016 की अवहेलना की जा रही है.
श्री राय के अनुसार, झारखंड राज्य आरोग्य सोसाइटी के निदेशक के पत्र के उपरांत स्वास्थ्य विभाग में इस संबंध में जांच हुई और पाया गया कि बड़ी संख्या में ऐसे चिकित्सक हैं, जो दिशा-निर्देश की अवहेलना कर उन सूचीबद्ध अस्पतालों में निजी प्रैक्टिस कर रहे हैं, जो निजी अस्पताल आयुष्मान योजना के तहत सरकारी लाभ बीमा कंपनियों के माध्यम से प्राप्त कर रहे हैं. श्री राय ने बताया कि कई डॉक्टर तो जिस जिले में पदस्थापित हैं, उस जिले से काफी दूर के जिलों के सूचीबद्ध अस्पतालों में निजी प्रैक्टिस कर रहे हैं. एक डॉक्टर की सरकारी पोस्टिंग शिकारीपाड़ा में है, पर वे गोड्डा के तीन अस्पतालों में निजी प्रैक्टिस कर रहे हैं. कोई डॉक्टर बोकारो जिला में पदस्थापित है, तो वह रामगढ़ और हजारीबाग के निजी सूचीबद्ध अस्पतालों में प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहा है. बोकारो में पदस्थापित एक डॉक्टर तो एक साथ बोकारो के 12 निजी सूचीबद्ध अस्पतालों में निजी प्रैक्टिस करते हुए दिखाये गये हैं. जबकि, दिशा-निर्देश के अनुसार उन्हें चार से अधिक अस्पतालों में निजी प्रैक्टिस नहीं करनी है और वह निजी प्रैक्टिस भी सरकारी अस्पतालों में ड्यूटी आवर्स के बाद ही करनी है.जांच में आये तथ्यों पर स्वास्थ्य विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की
विधायक ने कहा कि आश्चर्य तो यह है कि अपने पदस्थापन के अतिरिक्त दूर-दराज के जिलों के निजी अस्पतालों में तथा अपने ही जिले के आधा दर्जन से अधिक निजी अस्पतालों में इनमें से कई सरकारी चिकित्सकों के नाम पर चार हजार तक ऑपरेशन किये हुए दिखाये गये हैं. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार के स्तर पर की गयी जांच में आये तथ्यों पर स्वास्थ्य विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की. आयुष्मान भारत कार्यालय ने ऐसे डॉक्टरों की सूची अलग से राज्य सरकार को भेजी थी. परंतु इस सूची और जांच प्रतिवेदन को दबा दिया गया. इस तरह से झारखंड सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने जानबूझकर आयुष्मान घोटाला के दोषियों को बचाने का काम किया.
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