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कोरोना से जंग : झारखंड में कोरोना की जांच में आयी तेजी, तो संक्रमित भी बढ़े

झारखंड में हाल के दिनों में कोरोना की जांच में तेजी आयी है. टेस्ट बढ़ने से कोरोना संक्रमितों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. झारखंड में 25 मार्च से कोरोना की जांच शुरू हुई. राज्य में कोरोना का पहला मामला 31 मार्च को सामने आया. शुरुआती आंकड़ों को देखें, तो 25 मार्च से लेकर 30 जून तक यानी करीब 95 दिनों में कोरोना के एक लाख 42 हजार 641 सैंपल की जांच हुई थी, जिसमें 2490 लोग संक्रमित मिले थे.

रांची : झारखंड में हाल के दिनों में कोरोना की जांच में तेजी आयी है. टेस्ट बढ़ने से कोरोना संक्रमितों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. झारखंड में 25 मार्च से कोरोना की जांच शुरू हुई. राज्य में कोरोना का पहला मामला 31 मार्च को सामने आया. शुरुआती आंकड़ों को देखें, तो 25 मार्च से लेकर 30 जून तक यानी करीब 95 दिनों में कोरोना के एक लाख 42 हजार 641 सैंपल की जांच हुई थी, जिसमें 2490 लोग संक्रमित मिले थे. वहीं एक जुलाई से लेकर 31 जुलाई तक यानी 31 दिनों में ही एक लाख 52 हजार 228 सैंपल की जांच की जा चुकी है, जिसमें 8876 लोग संक्रमित मिले.

संक्रमितों के मिलने की दर 1.74 से बढ़ कर 5.83 प्रतिशत हुई : शुरुआत के 95 दिनों में कोरोना संक्रमितों के मिलने की दर 1.74 प्रतिशत थी. यानी प्रत्येक 100 सैंपल की जांच में लगभग दो लोग संक्रमित मिल रहे थे. पर इन 31 दिनों में संक्रमितों की संख्या काफी तेजी से बढ़ी है. जांच की गति जैसे-जैसे बढ़ती जा रही, वैसे-वैसे कोरोना पॉजिटिव की संख्या भी बढ़ रही है. जुलाई माह में 5.83 प्रतिशत की दर से संक्रमित मिलने लगे. यानी प्रत्येक 100 सैंपल की जांच में लगभग छह लोग संक्रमित मिल रहे हैं.

जांच का दायरा और बढ़ेगा : स्वास्थ्य विभाग जांच का दायरा बढ़ाने की तैयारी कर रहा है. अब ट्रूनेट मशीन अनुमंडल और प्रखंड स्तर पर भी दी जायेगी, ताकि वहीं पर भी जांच हो सके. साथ ही दुमका मेडिकल कॉलेज में भी जल्द ही आरटीपीसीआर मशीन से जांच आरंभ हो जायेगी. सरकार रैपिड एंटीजेन टेस्ट कराने पर भी जोर दे रही है. विभाग को उम्मीद है कि अगस्त माह में प्रतिदिन 10 हजार से अधिक जांच होने लगेगी.

जून तक के मुकाबले जुलाई में प्रतिदिन औसत 10 गुना वृद्धि

मार्च व अप्रैल में केवल रिम्स और एमजीएम जमशेदपुर में जांच की व्यवस्था थी. फिर पीएमसीएच धनबाद और इटकी रांची में जांच होने लगी. इसके बाद कुछ निजी लैब में भी जांच शुरू हुई. मार्च से जून तक प्रतिदिन लगभग 1501 सैंपल की जांच होती थी और औसतन 26 मरीज प्रतिदिन मिलते थे. वहीं जुलाई माह में ट्रूनेट मशीन से सभी जिलों में जांच शुरू हो गयी. हजारीबाग और पलामू मेडिकल कॉलेज में भी जांच आरंभ हो गयी. साथ ही रैपिड एंटीजेन टेस्ट भी होने लगा. जुलाई में प्रतिदिन औसतन 4910 सैंपल की जांच होनी लगी और इस माह प्रतिदिन औसतन 286 मरीज मिलने लगे, जो जून तक के औसत 26 से 10 गुना से भी अधिक है.

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