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IAS कैडर रूल्स में बदलाव मामलाः सीएम हेमंत सोरेन ने पीएम मोदी को लिखा खत, नियमों के बदलाव पर जताया विरोध

Jharkhand News: झारखंड सरकार ने आइएएस कैडर रूल 1954 में प्रस्तावित संशोधन का विरोध किया है. केंद्र सरकार कैडर रूल में संशोधन कर आइएएस अफसरों को राज्य की सहमति के बिना ही केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर लेने का नियम बना रही है. इस पर सीएम हेमंत सोरेन ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर कड़ा एतराज जताया है.

रांची : झारखंड सरकार ने आइएएस कैडर रूल 1954 में प्रस्तावित संशोधन का विरोध किया है. केंद्र सरकार कैडर रूल में संशोधन कर राज्य में कार्यरत आइएएस अफसरों को राज्य की सहमति के बिना ही केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर लेने का नियम बना रही है. इस पर सीएम हेमंत सोरेन ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कड़ा एतराज जताया है और संशोधन को समाप्त करने की मांग की है. सीएम ने इस कदम को कठोर और सहकारी संघवाद की भावना के खिलाफ बताया.

सीएम ने लिखा है कि राज्य सरकार ने 12 जनवरी को इस इस पर अपनी राय दे दी थी. राज्य को इस बीच एक और मसौदा मिला है, जो पहले की तुलना में अधिक कठोर प्रतीत होता है. उन्होंने पीएम से आग्रह किया है कि यह प्रस्ताव जिस स्टेज में है, उसी स्टेज में इसे दफन कर देना चाहिए. पत्र में, मुख्यमंत्री ने भारत सरकार के मंत्रालयों में अधिकारियों की कमी को पूरा करने का एक विकल्प भी सुझाया. उन्होंने कहा कि 30 अखिल भारतीय सेवाओं के पूल से अधिकारियों की कमी पूरी की जा सकती है.

श्री सोरेन ने केंद्र को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने का विकल्प चुननेवाले अधिकारियों की संख्या में स्पष्ट गिरावट के पीछे के कारणों का आत्मनिरीक्षण करने का भी सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि अधिकारियों के ट्रांसफर से उनके परिवार व बच्चे प्रभावित होते हैं. जिससे उनके काम पर असर पड़ता है. संशोधनों के औचित्य पर उंगली उठाते हुए श्री सोरेन ने कहा कि इसका एकमात्र उद्देश्य राज्यों में सेवारत अखिल भारतीय सेवा के किसी भी अधिकारी को राज्य की सहमति के बिना भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर आने के लिए विवश करना है.

केंद्र सरकार ने आइएएस कैडर संशोधन रूल का प्रस्ताव किया है तैयार

सीएम ने 30 अखिल भारतीय सेवाओं के पूल से अधिकारियों की कमी पूरी करने की सलाह दी है

215 के मुकाबले झारखंड में मात्र 140 आइएएस: मुख्यमंत्री ने दोहराया कि झारखंड में वर्तमान में 215 के स्वीकृत पद के मुकाबले राज्य में केवल 140 आइएएस अधिकारी (65%) काम कर रहे हैं, जबकि आइपीएस के स्वीकृत पद 149 की जगह 95(64%) आइपीएस अधिकारी ही काम कर रहे हैं. अपने पत्र में मुख्यमंत्री ने रेखांकित किया कि अधिकारियों की कमी के कारण कुछ अधिकारी एक से अधिक प्रभार धारण कर रहे हैं और उनकी जबरन प्रतिनियुक्ति से राज्य के काम पर और दबाव पड़ेगा.

क्या है केंद्र का प्रस्ताव : राज्य सरकार तय समय में निर्णय नहीं लेती है, तो केंद्र राज्य कैडर से रिलीव कर देगा- भारत सरकार ने आइएएस कैडर रूल 1954 के नियम छह में संशोधन प्रस्तावित किया है. प्रस्ताव में कहा गया है कि यदि राज्य सरकार आइएएस या आइपीएस की सेवा केंद्र को भेजने में देर करती है या तय समय के अंदर निर्णय लागू नहीं करती, तो अधिकारी को केंद्र द्वारा निर्धारित तारीख से राज्य कैडर से रिलीव कर दिया जायेगा. प्रस्ताव में केंद्र को राज्यों में नियुक्त किये जाने वाले आइएएस अधिकारियों की वास्तविक संख्या तय करने का अधिकार मिला है. केंद्र और राज्य के बीच असहमति होने पर अंतिम निर्णय केंद्र सरकार का होगा. वर्तमान में राज्य की सहमति के बिना आइएएस अफसरों की केंद्र में प्रतिनियुक्ति नहीं हो सकती.

Posted by: Pritish Sahay

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