Amrut city : भारत सरकार के आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने स्वच्छ सर्वेक्षण के बाद अब पेयजल सर्वेक्षण की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए सभी राज्यों के सहयोग से देश के 485 अमृत शहरों में पेयजल सर्वेक्षण कराने का निर्णय लिया है, जो इस वर्ष के नवंबर माह से प्रारंभ हो जाएगा. इसको लेकर केन्द्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के विशेषज्ञों की टीम ने राज्यों और अमृत शहरों के पदाधिकारियों के साथ कार्यशाला और प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू कर दिया है. इसी क्रम में शुक्रवार को राज्य सचिवालय (प्रोजेक्ट भवन) के सभागार में बिहार के 27 अमृत नगर निकाय और झारखंड के 7 अमृत नगर निकायों के पदाधिकारियों को पेयजल सर्वेक्षण से जुड़ी अहम जानकारी दी गयी.
नागरिकों से लिया जायेगा फीडबैक
केन्द्र सरकार के प्रतिनिधियों और विशेषज्ञों के द्वारा काफी बारीकी से उन हर पहलुओं की जानकारी दी गयी, जिसके आधार पर शहरों में उपलब्ध पेयजल, पाइपलाइन जलापूर्ति, पेयजल की गुणवता और वाटर बॉडी के रखरखाव इत्यादि से जुड़े प्रश्न पूछे जाएंगे. इस सर्वेक्षण में संबंधित शहर के नागरिकों का फीडबैक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. टीम की ओर से जिन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ज्यादा जोर दिया गया वो इस प्रकार हैं-
यह सर्वेक्षण कुल 2100 अंकों का होगा.
वाटर यूटिलिटी सर्विसेज 700 अंकों का होगा.
सर्वेक्षण में ऐसे मिलेंगे अंक
इसके तहत शहरों की आबादी और आबादी की जरूरत के हिसाब से शहरों के जल स्रोतों में जल की उपलब्धता, पेयजल के लिए पाइपलाइन से टैप वाटर आपूर्ति की व्यवस्था,पाइपलाइन से आपूर्ति किए जा रहे जल का मीटर कनेक्शन इत्यादि शामिल हैं. इन महत्वपूर्ण बिंदुओं के आधार पर उस शहर को अंक प्राप्त होगा. इसके साथ ही इन बिंदुओं से जुड़े सवाल पर आम नागरिकों का फीडबैक भी इस बात को तय करेगा कि शहर में जल की गुणवत्ता कैसी है और लोगों को सरकार जरूरत की तुलना में कितना और किस स्तर का जल उपलब्ध करा रही है. क्या जलापूर्ति बाधित होने पर लोगों की शिकायत और उसके समाधान के लिए क्या उपाय किया गया है.
यूज्ड वाटर यूटिलिटी सर्विसेज 700 अंक
इस सर्विसेज के लिए भी कुल अंक 700 निर्धारित किए गए हैं, जिसके तहत शहरों में विभिन्न कार्यों अर्थात आवासीय और कॉमर्शियल उदेश्यों से हो रहे जल के उपयोग के बाद वैस्ट जल का कितना प्रतिशत ट्रिटमेंट हो रहा है. यहीं नहीं इसके लिए क्या कुछ उपाय किए गए हैं, किस प्रकार का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया है. इनसे जुड़े सवाल भी नागरिकों का फेस टू फेस इंटरव्यू के माध्यम से पूछा जाएगा. ऐसे जल की आपूर्ति क्या पाइपलाइन से की जा रही है या नहीं.
जल स्रोत (वाटर बॉडी)- 200 अंक
शहरों को अपने निकाय से तीन जल स्रोतों की जानकारी भारत सरकार के आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय को देना है जिसके संरक्षण के लिए कुछ कदम उठाएं गए हैं. उन शहरों से क्वालिटी टेस्टिंग की टीम सैंपल इकट्ठा कर लैब भेजेगी और उस जल की गुणवत्ता की जांच की जाएगी. इसके साथ ही वाटर रिजर्वायर, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के जल का भी समय-समय पर जांच करानी होगी. इन जांच के आधार पर भी शहरों की रैंकिंग तय होगी.
एनआऱडब्ल्यू अर्थात नन रेवेन्यू वाटर- 200 अंक
विभिन्न जल स्रोतों से नगर निकाय द्वारा पाइपलाइन से की जा रही जलापूर्ति में अवैध कनेक्शन, पाइपलाइन से लीकेज के द्वारा हो रही बर्बादी और मीटरयुक्त कनेक्शन नहीं होने के कारण नॉन रेवेन्यू वाटर का आकलन कर इस श्रेणी में अंकों का निर्धारण किया जाएगा.
वेस्ट प्रैक्टिसेज एंड इन्नोवेशन- 300 अंक
इस श्रेणी में जल स्रोत,जलापूर्ति केन्द्र और ट्रीटमेंट प्लांट को बेहतर बनाने के लिए किए गए बेहतर प्रयास तथा इनोवेशन के आधार पर शहर के लिए अंक निर्धारित किया जाएगा. इस श्रेणी में भी नागरिकों का फीडबैक बहुत ही मददगार साबित होगा. इसमें शहरों में वाटर हार्वेस्टिंग के लिए अपनाए गए मॉड्यूल पर भी अंक प्राप्त होंगे.
प्रशिक्षण में ये हुए शामिल
राज्य सरकारों की ओर से बिहार सरकार के पेयजल सर्वेक्षण के नोडल ऑफिसर और बिहार के नगर विकास विभाग में डिप्टी डायरेक्टर आशुतोष कुमार, झारखंड सरकार के नगर विकास विभाग से डिप्टी डायरेक्टर कृष्ण कुमार, सहायक निदेशक आशीष कुमार, धनबाद के नगर आयुक्त सत्येन्द्र कुमार, देवघर के नगर आयुक्त शैलेन्द्र लाल, आदित्यपुर के नगर आयुक्त गिरिजा शंकर प्रसाद, झारखंड के रांची, हजारीबाग, चास , गिरिडीह, आदित्यपुर, धनबाद, देवघर के प्रतिनिधि भी कार्यक्रम में शामिल हुए. इधर, बिहार से बगहा, औरंगाबाद और डालमियानगर के कार्यपालक पदाधिकारियों के साथ-साथ अन्य नगर निकाय के प्रतिनिधि शामिल हुए. भारत सरकार के आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के प्रतिनिधि अलगर शामी और आईपीएसओएस की ओर से राकेश सिंह ने पदाधिकारियों को प्रशिक्षण दिया. कार्यक्रम में सूडा और जुडको के पदाधिकारी भी मौजूद थे.