रांची (विशेष संवाददाता). एक भारत श्रेष्ठ भारत एकेडमिक-कल्चरल एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत मंगलवार को मोरहाबादी आर्यभट्ट सभागार झारखंडी व गोवा की संस्कृति से सराबोर था. रांची विवि व गोवा विवि के विद्यार्थियों ने सांझी सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत अपने-अपने क्षेत्र की कला व संस्कृति का प्रदर्शन किया.
कार्यक्रम की शुरुआत रांची विवि की छात्रा ख्याति ने गणेश वंदना नृत्य (भरतनाट्यम की एक शैली) से की. झारखंड की संस्कृति को जीवंत करने वाला काड़सा नृत्य का प्रदर्शन रांची विवि टीआरएल विभाग के विद्यार्थियों ने किया. पीएफए विभाग ने मिले सुर मेरा तुम्हारा कार्यक्रम की प्रस्तुति दी, जबकि फाइन आर्ट के विद्यार्थियों ने नृत्य प्रस्तुत किया. इसके बाद गोवा विवि की तरफ से टीम ने अपनी कला से यह बताया कि गोवा की पहचान सिर्फ समुद्री बीच, कसीनो और फन करना ही नहीं है, बल्कि हमारी संस्कृति की एक पुरानी पहचान है. विद्यार्थियों द्वारा परशुराम-नारद संवाद को नाटक के रूप में प्रस्तुत किया गया. इसमें कादम्य सम्राट की कहानी का भी मंचन किया गया. पुर्तगालियों के पूर्व गोवा का चित्रण का बहुत ही ऐतिहासिक चित्रण किया गया.देखनी, ढालो, फुरगी, मांडव, कट्टी डांस तना नांदी गीत की प्रस्तुति
गोवा के विद्यार्थियों ने देखनी, ढालो, फुरगी, मांडव, कट्टी डांस तना नांदी गीत की प्रस्तुति दी. साथ ही वीडियो के माध्यम से गोवा के भारत में विलय और उससे पूर्व पुर्तगीज से संघर्ष करते वहां के स्थानीय इतिहासकारों की बातों को दिखाया गया. इसके अलावा गोवा के सबसे पुराने नृत्य गोयांचे देखणी नृत्य की प्रस्तुति हुई. इस नृत्य की विशेषता यह है कि गोवा के जो स्थानीय निवासी कभी हिंदू थे,.ईसाई धर्म में धर्मांतरित होने के बाद भी अपनी संस्कृति को संजोए हुए हैं. इस नृत्य में ईसाई धर्म की युवतियों द्वारा हिंदू-संस्कृति के परिधान को धारण करके नृत्य कर दिखाया गया. कार्यक्रम का संचालन डिप्टी डायरेक्टर डॉ स्मृति सिंह व डॉ कुमुद कला मेहता ने संयुक्त रूप से किया. इस अवसर पर डॉ जीसी झा, सुमित डे, दीपाली डुंगडुंग, विवेक दास, मनीष कुमार, सुमन, फरहान, बिपुल नायक सहित कई लोग उपस्थित थे. गोवा विवि की पूरी टीम राजभवन में राज्यपाल से भी मुलाकात की.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है