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कैंसर से जीत तुषार ने पाया 95% अंक

रांची : हौसले बुलंद हो, तो परेशानियां आड़े नहीं आती. इसे सच कर दिखाया है डीपीएस रांची के छात्र तुषार ऋषि ने. बोन कैंसर को मात देकर उसने सीबीएसइ 12 वीं की परीक्षा में 95 % अंक हासिल किया. उसे अंग्रेजी में 95, गणित में 93, फिजिक्स में 95, केमेस्ट्री में 92 और कंप्यूटर साइंस […]

रांची : हौसले बुलंद हो, तो परेशानियां आड़े नहीं आती. इसे सच कर दिखाया है डीपीएस रांची के छात्र तुषार ऋषि ने. बोन कैंसर को मात देकर उसने सीबीएसइ 12 वीं की परीक्षा में 95 % अंक हासिल किया. उसे अंग्रेजी में 95, गणित में 93, फिजिक्स में 95, केमेस्ट्री में 92 और कंप्यूटर साइंस में 89 फीसदी अंक मिले हैं. लिटरेचर में रुचि होने के कारण उसने फाइन आर्ट्स (ऑप्शनल पेपर) में शत प्रतिशत (100) अंक हासिल किया.

दसवीं की परीक्षा में भी तुषार ने 10 सीजीपीए अर्जित किया था. तुषार हर तीसरे माह कैंसर के चेकअप के लिए एम्स जाता है. प्रभात खबर से बातचीत में उसने बताया कि उसने आइआइटी मेंस भी क्वालिफाइ किया था, लेकिन एडवांस की परीक्षा नहीं दी. उसकी रुचि लिटरेचर में है. वह दिल्ली में दाखिला लेकर लिटरेचर में ग्रेजुएशन करना चाहता है. आत्मविश्वास से लबरेज तुषार ने कहा कि वह आइआइटी एडवांस परीक्षा भी पास कर जाता, लेकिन उसे तो करियर साहित्य के क्षेत्र में बनाना है. वह नहीं चाहता था कि उसकी वजह से कोई छात्र वंचित हो.

बोन कैंसर का पता तीन साल पहले चला था

तुषार को बोन कैंसर हुआ था. तीन साल पहले इसका पता चला था. पिता शशिभूषण अग्रवाल (प्राचार्य, एक्सटेंशन ट्रेनिंग सेंटर, कृषि विभाग) और मां ऋतु अग्रवाल (असिस्टेंट प्रोफेसर, बीआइटी मेसरा) ने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने अपनी क्षमता के अनुसार, होनहार पुत्र का इलाज कराया. परिजनों के अनुसार, उसका इलाज कर रहे डॉक्टर भी तुषार का हौसला बढ़ाते रहते हैं. इलाज के कारण तुषार एक वर्ष बाद दसवीं की परीक्षा में शामिल हुआ और शानदार रिजल्ट लाया. परिजनों को अपने होनहार पुत्र पर गर्व है.

काट दी गयी थी पैर की हड्डी

पारिवारिक सूत्रों के अनुसार तुषार की पैर की हड्डी में कैंसर के लक्षण पाये गये थे. एम्स में उसके पैर का ऑपरेशन हुआ था. प्रभावित हिस्से की हड्डी को काट कर अलग कर दिया गया है.

द पेशेंट पेशेंट नामक लिखी किताब

बीमारी के दौरान तुषार ने अस्पताल में ही द पेशेंट-पेशेंट नामक पुस्तक लिखी. वेस्टलैंड प्रकाशक ने पुस्तक को प्रकाशित किया है. इस पुस्तक में उसने इलाज के समय के लम्हों का बखूबी जिक्र किया है. उसने कैंसर पीड़ितों को पुस्तक के माध्यम से हिम्मत न हारने की सलाह दी है.

तुषार ने कहा कि वह आइआइटी एडवांस परीक्षा भी पास कर जाता, लेकिन उसे तो करियर साहित्य के क्षेत्र में बनाना है. वह नहीं चाहता था कि उसकी वजह से कोई छात्र वंचित हो.

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