न्यायमूर्ति संजीव सचदेव ने कहा, यह अदालत कहती है कि विचार करें- इसका मतलब है कि आदेश पारित करें. इसका मतलब यह नहीं है कि फैसला आपके पक्ष में लिया जाये. उन्होंने आपकी अपील को खारिज कर दिया. आप इसे चुनौती दें. अदालत ने कंपनी की अपील पर कोई आदेश नहीं दिया और मामले की सुनवाई की तारीख 21 अगस्त तय की. लग्जमबर्ग की कंपनी आर्सेलर मित्तल के वकील ने कहा कि वह अदालत के फैसले को चुनौती देने के लिए अलग से एक रिट याचिका दायर करेंगे.
उन्होंने कहा कि अदालत के नौ जनवरी के आदेश के बाद पूरी मशीनरी को कंपनी के अपील पर फैसला लेने के लिए लगाया गया और 11 जनवरी की समयसीमा से पहले निर्णय लिया गया, जिसमें आर्सेलर मित्तल की झारखंड में खनन पट्टे के लिए वन मंजूरी की अपील को खारिज कर दिया गया. कंपनी झारखंड में 1.2 करोड़ टन सालाना क्षमता का इस्पात संयंत्र लगाने के लिए झारखंड में खनन पट्टा चाहती है. अपनी मुख्य याचिका में आर्सेलर मित्तल ने दावा किया है कि वह खान एवं खनिज (विकास एवं नियमन) (एमएमडीआर) कानून के तहत खनन पट्टे की पात्र है, क्योंकि वह सभी सांविधिक जरूरतों को पूरा करती है.