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राजकीय सम्मान के साथ शहीद फ्रांसिस की अंतिम विदाई

गांव में शहीद फ्रांसिस होरो के शव के पहुंचते ही अंतिम दर्शन के लिए भारी संख्या में लोग उमड़ पड़े. युवकों की छाती गर्व से चौड़ी हो गयी थी, तो दूसरी ओर परिवार के लोग समझ नहीं पा रहे थे कि हम खुशी मनायें या गम. सभी के आंखों में आंसू थे, मगर चेहरे पर […]

गांव में शहीद फ्रांसिस होरो के शव के पहुंचते ही अंतिम दर्शन के लिए भारी संख्या में लोग उमड़ पड़े. युवकों की छाती गर्व से चौड़ी हो गयी थी, तो दूसरी ओर परिवार के लोग समझ नहीं पा रहे थे कि हम खुशी मनायें या गम. सभी के आंखों में आंसू थे, मगर चेहरे पर गर्व की रेखाएं भी बार-बार उभर आ रही थीं. गांव के लोगों का कहना था कि आज हमारे लिए गर्व का दिन है.
नामकुम : कश्मीर में शहीद हुए सेना के जवान फ्रांसिस होरो के शव को रविवार सुबह मिलिट्री हॉस्पिटल से उनके पैतृक निवास लाली पंचायत स्थित सेरेंगटोली भेजा गया. वहां घर से थोड़ी दूर पर स्थित कब्रिस्तान में पूरे राजकीय सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गयी.
इससे पहले शहीद के शव को सुबह लगभग 10 बजे सेना ने उनके सिदरौल स्थित आवास पर पहुंचाया. जहां परिजनों व आस-पड़ोस के लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. सिदरौल में कुछ देर रुकने के बाद शहीद फ्रांसिस के शव को उनके गांव ले जाया गया. इस क्रम में बड़ी संख्या में लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे व उन्हें मिट्टी दी.
शव को कश्मीर से लेकर आये 4 राष्ट्रीय रायफल्स के नायक सूबेदार अलोइस एक्का ने बताया कि शुक्रवार को सीमा पर गश्ती के दौरान पाकिस्तान की ओर से की गयी गोलीबारी में फ्रांसिस को गोली लगी थी. गंभीर अवस्था में उन्हें अस्पताल ले जाया जा रहा था, मगर उन्होंने रास्ते में ही दम तोड़ दिया. ज्ञात हो कि शनिवार को सेवा विमान से शहीद फ्रांसिस का शव रांची लाया गया था. जिसके बाद उसे मिलिट्री अस्पताल ले जाया गया, जहां से रविवार को शव परिजनों को सौंप दिया गया. बेटे के शव को देख कर फ्रांसिस की मां मरियम होरो बार-बार बेहोश हो रही थीं. वहीं पत्नी अनस्तासिया व बेटियां अनुप्रेस्का व अदिति का भी रो-रोकर बुरा हाल था. शहीद की पत्नी को सेना की तरफ से आखिरी निशानी के तौर पर तिरंगा दिया गया.
शहीद को जगह-जगह लोगों ने दी श्रद्धांजलि : सिदरौल से शव को लाली पंचायत के सेरेंगटोली ले जाने के क्रम में कई जगहों पर लोगों ने शहीद फ्रांसिस के पार्थिव शरीर पर फूल-माला चढ़ा कर श्रद्धांजलि दी. लोग अपने बच्चों को शहीद होने का अर्थ समाझा रहे थे और सीमा पर हुए तनाव की बातें रहे थे. गांव की महिलाएं शव आने पर फूट-फूट कर रो रही थीं. हालांकि देश के लिए गांव के बेटे की कुर्बानी पर उन्हें गर्व भी था.
फ्रांसिस चाहता था कि उसकी मौत लड़ते हुए ही हो : हिलारयुस होरो
शहीद फ्रांसिस के चचेरे भाई हिलारयुस होरो ने बताया कि फ्रांसिस की शहादत पर उन्हें गर्व है. फ्रांसिस भी चाहता था कि उसकी मौत लड़ते हुए ही हो. हिलारयुस सेना से रिटायर्ड जवान हैं. उन्होंने कहा कि उनके परिवार से जो भी सेना में जाना चाहेगा, उसका पूरा साथ दिया जायेगा. हालांकि अपने आंसुअों को छुपाते हुए हिलारयुस ने कहा कि उन्हें भाई की मौत का गम तो है, पर ऐसी मौत सबको नसीब नहीं होती.
कई नेता भी अंतिम यात्रा में शामिल हुए, दी श्रद्धांजलि
शहीद फ्रांसिस होरो की अंतिम यात्रा के दौरान गाड़ियों की कतार लगी थी. गांव के युवक शव के आगे मोटरसाइकिल पर नारे लगाते चल रहे थे. भारत माता की जय व पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे से लाली पंचायत गूंज उठा था.
ग्रामीणों के अलावे विधायक रामकुमार पाहन भी सिदरौल स्थित शहीद फ्रांसिस के घर पहुंचे व श्रद्धासुमन अर्पित किये. पूर्व जिप अध्यक्ष सुंदरी तिर्की, जिप सदस्य राजेश कुजूर, सुरेश बैठा, सतीश पॉल मुंजनी, बिरीश मिंज, अमर कुमार महतो, डॉ वंशी प्रसाद सहित कई राजनैतिक दल के नेता भी शहीद की शव यात्रा में शामिल हुए व उन्हें अंतिम विदाई दी.

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