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प्रोन्नति में आरक्षण के नियम को दी अदालत में चुनौती

रांची : सरकार द्वारा इंजीनियरों की प्रोन्नति में आरक्षण का प्रावधान लागू किये जाने को हाइकोर्ट में चुनौती दी गयी है. सरकार ने झारखंड अभियंत्रण सेवा नियुक्ति प्रोन्नति नियमावली 2016 में कार्यपालक अभियंता के पद को भरने में आरक्षण का प्रावधान कर दिया है. प्रावधान के तहत कार्यपालक अभियंता के 60 प्रतिशत पदों को राज्य […]

रांची : सरकार द्वारा इंजीनियरों की प्रोन्नति में आरक्षण का प्रावधान लागू किये जाने को हाइकोर्ट में चुनौती दी गयी है. सरकार ने झारखंड अभियंत्रण सेवा नियुक्ति प्रोन्नति नियमावली 2016 में कार्यपालक अभियंता के पद को भरने में आरक्षण का प्रावधान कर दिया है. प्रावधान के तहत कार्यपालक अभियंता के 60 प्रतिशत पदों को राज्य लोक सेवा के माध्यम से नियुक्त हुए इंजीनियरों से भरा जायेगा.
शेष 40 प्रतिशत पद ऐसे इंजीनियरों से भरा जायेगा, जिन्होंने कनीय अभियंता में योगदान देने बाद एएमआइइ (एसोसियेट मेंबर ऑफ इंस्टीटूशन ऑफ इंजनियर्स) के सहारे बीटेक की डिग्री हासिल की हो.
विरोध का तर्क : प्रोन्नति में आरक्षण के मामले में राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से नियुक्त हुए सभी इंजीनियरों ने विरोध किया. झारखंड अभियंत्रण संघ का तर्क है कि नये नियम से बीटेक या एमटेक कर नौकरी में आये सामान्य के अलावा अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के इंजीनियरों के प्रोन्नति प्रभावित हो जायेगा. जल्द ही एेसी स्थिति पैदा हो जायेेगी, जिससे अनौपचारिक शिक्षा के सहारे डिग्री पानेवाले इंजीनियर शीर्ष पदों पर होंगे और राज्य लोक सेवा से नियुक्त इंजीनियर उनके मातहत होंगे.
यह स्थिति सरकार के काम काज के लिए भी बेहतर नहीं होगी. संघ के अनुसार राजस्थान में ऐसी व्यवस्था की गयी थी, जिसके खिलाफ भी कानूनी लड़ाई शुरू हुई थी. सुप्रीम कोर्ट ने इससे जुड़ी याचिका की सुनवाई के बाद प्रोन्नति में एएमआइइ के लिए तय किये गये 20 प्रतिशत का कोटा समाप्त कर दिया. झारखंड अभियंत्रण संघ ने नियम में तब्दीली के लिए सरकार को ज्ञापन दिया. पर सरकार ने किसी तरह की कार्रवाई नहीं की, जिसके बाद इस नियम को अदालत में चुनौती दी गयी है.

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