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Anjuman Islamia Election: अंजुमन इस्लामिया के चुनाव में 84.5% हुआ मतदान, परिणाम आज

रांची के कडरू स्थित हज हाउस में अंजुमन इस्लामिया का चुनाव (Anjuman Islamia Election) हुआ. कुल 1635 में से 1382 मतदाताओं ने मतदान किया था. यानी 84.5 फीसदी वोटिंग हुई थी. वहीं, आज मतगणना होगी और शाम तक चुनाव के नतीजे आ जाएंगे.

Ranchi news: कडरू स्थित हज हाउस में सोमवार को अंजुमन इस्लामिया का चुनाव (Anjuman Islamia Election) हुआ. सुबह आठ बजे से शाम चार बजे तक मतदान हुआ. कुल 1635 में से 1382 मतदाताओं ने मतदान किया. यानी 84.5 फीसदी वोटिंग हुई. महिला मतदान कर्मियों ने भी चुनाव संपन्न कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. वहीं, आज मतगणना होगी और शाम तक चुनाव के नतीजे आ जाएंगे.

टीम अमीन और अमन के बीच है मुकाबला

इस चुनाव में टीम अमीन और टीम अमन के बीच मुकाबला है. अध्यक्ष पद पर अंजुमन के निर्वतमान अध्यक्ष इबरार अहमद और महासचिव मोख्तार अहमद के बीच टक्कर है. दोनों मतदान केंद्र के बाहर काफी उत्साहित दिख रहे थे. दोनों ने दावा किया कि उनके पक्ष में मतदाताओं ने खुलकर वोट किया.

इन पदों के लिए हुआ चुनाव

अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव व संयुक्त सचिव के एक-एक पद के लिए और मजलिसे आमला के 12 सदस्यों के लिए मतदान हुआ.

दूसरी बार महिलाओं ने भी किया मतदान

अंजुमन चुनाव में दूसरी बार महिलाओं ने मतदान किया. इस बार चार महिला मतदाता थीं, जिसमें तीन ने पहली बार मतदान किया. इसमें शगुफ्ता बानो, तरन्नुम बानो, नुसरत जहां, सादिया हुमेरा शामिल हैं. वहीं पहली महिला मतदाता नाजिया तब्बसूम ने इस बार आवेदन नहीं किया था.

मतपेटियों को सील किया गया

मतदान के बाद मतपेटियों को सील कर हज हाउस में बने स्ट्रांग रूम में रखा गया है. सुरक्षा के लिये जवान तैनात हैं. मतपेटियों को सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में रखा गया है.

1917 में अंजुमन इस्लामिया की बुनियाद रखी

अंजुमन इस्लामिया की बुनियाद 1917 में रखी गयी थी. 31 मार्च 1916 को मौलाना अबुल कलाम आजाद रांची आये थे. यहां के मुसलमानों की बदहाली को देखते हुए इस संस्था की स्थापना की. सभी संस्थाअों को इससे जुड़ने की अपील की़ मौलाना आजाद का उद्देश्य यह था कि सभी मुस्लिम इसके बैनर तले जुड़कर संगठित रहे. 1942 में इसका बायलाॅज (नियम) बनकर तैयार हुआ. उस वक्त महासचिव विद्वान अधिवक्ता जैनुल आबदीन थे.

1972 में बनाया गया नया बायलॉज

26 नवंबर 1972 में नया बायलॉज बनाया गया. उस समय अंजुमन के अध्यक्ष अधिवक्ता सगीर अहमद व हदीब महासचिव थे. इसमें सभी मुस्लिम मतदाताओं को वोट देने का अधिकार था. हालांकि विवाद को देखते हुये 1978 के बायलॉज के संशोधन में हुआ. अप्रत्यक्ष मतदान की व्यवस्था की गयी. वर्तमान में यही बायलॉज लागू है. हालांकि आम मुसलमानों का मानना है कि इसमें सुधार की आवश्यकता है. 1942 से लेकर 2013 तक के बायलॉज में महिला मतदाता का कोई जिक्र नहीं है़ अंजुमन इस्लामिया मामले के जानकार डॉ. ओबेदुल्लाह कासमी ने बताया कि पहली बार 2018 में एक महिला नाजिया तब्बसूम को महिला आयोग में आवेदन के आधार पर वोट देने का अधिकार दिया गया. 2022 में उच्च न्यायालय के आदेश पर महिला मतदाता को वोट का अधिकार दिया गया है.

16 महीने विलंब से हुआ चुनाव

वर्तमान कमेटी का कार्यकाल 21 अप्रैल 2021 को पूरा हो गया था. वर्तमान चुनाव करीब 16 महीने बाद हो हुआ. उच्च न्यायालय के आदेश के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड के सीइअो जियाउल अंसारी के नेतृत्व में चुनाव संपन्न हुआ.

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