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रनिया जा रही बस में भी दीपू खान ने ही रखी थी गोलियां

रांची: तीन साल पहले 12 अगस्त-2013 को रनिया जा रही अशद नामक यात्री बस की सीट के नीचे गोलियों से भरा बैग खुद दीपू खान ने रख कर बरामद करवाया था. आर्मी इंटेलीजेंस के अफसरों के सहयोग से उसने बस में गोली रखने की योजना राजधानी के एक होटल में बनायी थी. गोली से लेकर […]

रांची: तीन साल पहले 12 अगस्त-2013 को रनिया जा रही अशद नामक यात्री बस की सीट के नीचे गोलियों से भरा बैग खुद दीपू खान ने रख कर बरामद करवाया था. आर्मी इंटेलीजेंस के अफसरों के सहयोग से उसने बस में गोली रखने की योजना राजधानी के एक होटल में बनायी थी. गोली से लेकर बैग तक की व्यवस्था दीपू खान ने ही की थी. दीपू खान ने शहीद चौक के पास से बैग खरीदा था. दीपू खान ने पूछताछ में यह खुलासा सीआइडी के अधिकारियों के समक्ष किया है. हालांकि इस मामले की जांच नहीं हुई है. अगर जांच हुई, ताे कई बड़े अफसर फंस सकते हैं.
दीपू खान ने सीआइडी के अफसरों को बताया है कि वह खुद बस की पीछेवाली सीट पर बैठा था. इसके बाद बस की सीट के नीचे गोलियों से भरा बैग रख नीचे उतर गया. बाद में आर्मी इंटेलीजेंस के अधिकारियों ने पुलिस के साथ छापेमारी की और बस से गोलियों को बरामद कर लिया. बाद में सभी अधिकारी नामकुम थाना पहुंचे. जब दीपू खान से सीआइडी के अफसरों ने यह पूछा कि उसे गोलियां किसने दी थी, तब दीपू खान से इसकी कोई जानकारी नहीं दी. सूत्रों के अनुसार दीपू खान के पुलिस अफसरों से अच्छे संबंध थे. बताया जाता है कि जब भी पुलिस किसी उग्रवादी या नक्सली से गोलियां बरामद करती है, तब पुलिस बरामदगी कम दिखाती है. बताया जाता है कि जिस पुलिस अधिकारी के पास गोलियां बचीं होंगी, उन्हीं में से किसी एक पुलिस अफसर से दीपू को गोलियां मिली होंगी.
उल्लेखनीय है कि पुलिस ने आर्मी इंटेलीजेंस की सूचना पर रांची से रनिया जा रही एक बस की आरसीएच के पास तलाशी ली थी. तलाशी के दौरान पुलिस ने 57 गोलियां बरामद की थी. बरामद गोलियों में नाइन एमएम पिस्टल की एक, दो खोखे, इनसास की चार, एके 47 की एक, 7.62 एमएम की 23, .315 की 13 और आठ एमएम की 15 गोलियां थीं. छापेमारी के बाद पुलिस अधिकारियों ने दावा किया था कि बरामद गोलियों को खूंटी में सक्रिय किसी उग्रवादी या नक्सली तक भेजा जाना था. पुलिस ने दावा भी किया था 15 अगस्त के दौरान उग्रवादी या नक्सली किसी घटना को अंजाम दे सकते हैं, इसलिए गोलियों की सप्लाई की जा रही थी. पुलिस ने उस वक्त बताया था कि गोली रखनेवाला व्यक्ति चेकिंग की सूचना मिलने पर बस से उतर गया था, इसलिए वह नहीं पकड़ा जा सका.
नामकुम थाने में स्टेशन डायरी इंट्री की गयी थी
छापेमारी के बाद आर्मी इंटेलीजेंस के अधिकारी गोलियों से भरा बैग लेकर नामकुम थाना पहुंचे थे. थाना पहुंचने के बाद आर्मी इंटेलीजेंस के अफसरों ने वरीय पुलिस अधिकारियों को फोन कर गोली बरामद होने की सूचना दी थी. तब आर्मी इंटेलीजेंस से जुड़े अधिकारियों को सहयोग के लिए मुख्यालय डीएसपी मुकेश कुमार को नामकुम थाना भेजा गया था. इसके बाद बरामद गोलियों के संबंध में नामकुम थाने में स्टेशन डायरी इंट्री की गयी थी.

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