मंगलवार को प्रभात खबर की टीम ने रिम्स ओपीडी एवं सदर अस्पताल रांची के ओपीडी के डॉक्टरों द्वारा लिखी गयी परची की पड़ताल की. इसमें पाया गया कि डॉक्टरों ने मरीजों को सिर्फ ब्रांडेड दवाइयां ही लिखी थी, जबकि राज्य सरकार की ओर से निर्देश दिया गया है कि सरकारी अस्पतालों के ओपीडी में आये मरीजों व भरती मरीजों को सिर्फ जेनेरिक दवाएं ही लिखनी है.
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जेनेरिक नहीं, ब्रांडेड दवा ही लिख रहे हैं डॉक्टर
रांची: राज्य सरकार के निर्देश के बाद भी डॉक्टर जेनेरिक दवाइयां नहीं लिख रहे हैं. डाॅक्टर मरीजों को अभी भी महंगी ब्रांडेड दवाइयां ही लिख रहे हैं, जिस कारण दवाइयां खरीदने के लिए मरीजों को अधिक पैसा चुकाना पड़ रहा है. ऐसा राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स व सदर अस्पताल, रांची में हो […]
रांची: राज्य सरकार के निर्देश के बाद भी डॉक्टर जेनेरिक दवाइयां नहीं लिख रहे हैं. डाॅक्टर मरीजों को अभी भी महंगी ब्रांडेड दवाइयां ही लिख रहे हैं, जिस कारण दवाइयां खरीदने के लिए मरीजों को अधिक पैसा चुकाना पड़ रहा है. ऐसा राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स व सदर अस्पताल, रांची में हो रहा है.
मंगलवार को प्रभात खबर की टीम ने रिम्स ओपीडी एवं सदर अस्पताल रांची के ओपीडी के डॉक्टरों द्वारा लिखी गयी परची की पड़ताल की. इसमें पाया गया कि डॉक्टरों ने मरीजों को सिर्फ ब्रांडेड दवाइयां ही लिखी थी, जबकि राज्य सरकार की ओर से निर्देश दिया गया है कि सरकारी अस्पतालों के ओपीडी में आये मरीजों व भरती मरीजों को सिर्फ जेनेरिक दवाएं ही लिखनी है.
26 अगस्त को जारी हुआ था संकल्प
कैबिनेट में चिकित्सकों को जेनेरिक दवा लिखने पर सहमति होने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने 26 अगस्त 2015 को संकल्प जारी किया था. इसमें स्पष्ट निर्देश दिया गया था कि डॉक्टर जेनेरिक दवाइयां ही लिखें. जेनेरिक दवाइयाें के लिए चिकित्सकों को दवा का कैमिकल नेम लिखना होगा.
सदर अस्पताल में भी नहीं लिखी जाती जेनरिक दवाएं
सदर अस्पताल में मंगलवार को लोहरदगा की रहनेवाली साढ़े तीन वर्षीय बच्ची फरहान को दिखाने के लिए ओपीडी में लाया गया. उसे बुखार था. चिकित्सक ने बच्ची की जांच करने के बाद जो दवाइयां लिखीं, वह सभी ब्रांडेड थीं. परची में एंसीडॉक्स, आरिनासियस, पीसीएम एवं जैक्सिड आदि दवाइयां लिखी गयी थी. जब परिजन बच्ची को लेकर सदर अस्पताल के दवा वितरण केंद्र पहुंचे, तो बताया गया कि ये सारी दवाइयां निजी दवा दुकानों पर मिलेगी.
जेनेरिक दवा की उपलब्धता के लिए ये करने होंगे उपाय
राज्य की सभी दवा दुकानों को जेनेरिक दवाइयां रखना बाध्य हो
जेनेरिक दवाएं एमआरपी पर नहीं, खरीद मूल्य पर मिले
दवा दुकानदार जेनेरिक दवा की उपलब्धता काे डिसप्ले करे
अगर चिकित्सक जेनेरिक दवा लिखते हैं, तो दुकानदार जेनेरिक दवा ही दे
दवा दुकानदार अगर जेनेरिक दवा नहीं देते हैं, तो उन पर कानूनी कार्रवाई होआदत बदलना आसान नहीं
आदत आसानी से नहीं बदल सकती. केमिकल नाम लंबा होता है, इसलिए लिखने में थोड़ी मुश्किल तो आयेगी ही, क्योंकि ब्रांड नेम लिखने की आदत हो गयी है. हमने निर्देश दिया है कि अब जो दवाइयां अस्पताल में आयेंगी, वह जेनेरिक ही होंगी.
डॉ शमीम हैदर, निदेशक, रिम्स
अभी एक माह के बाद सभी सरकारी अस्पतालों में जेनेरिक दवा लिखने के लिए निर्देश जारी किया जायेगा. इसके बाद भी अगर कोई डॉक्टर जेनेरिक दवा नहीं लिखेंगे, तब कार्रवाई की जायेगी.
रामचंद्र चंद्रवंशी, स्वास्थ्य मंत्री
रिम्स में डॉक्टरों ने ब्रांडेड दवा ही िलखी
कार्डियोलॉजी
लिखी दवा जेनेरिक नाम
स्टोरवास स्टोरवा स्टैटिन
सोलोमैक्स मेटोप्रोलाल एंड एम्लोडिपिन
इकोस्प्रीन स्टोरवा स्टैटिन
मेडिसीन
आरसिनेक्स इजेड रिफेंमपिसिन इथेनिवटॉल पाइराजिनामाइड
वेनाडॉन पाइरिडॉक्सीन
वाइसोलॉन प्रडिनीसोलॉन
इएनटी
वोकमोक्स सीवी एमोक्सिसिलीन क्लोवोलेनिक एसिड
रेंटैक रेनेटीडिन
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