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रास चुनाव में झाविमो के बागी विधायकों के मतदान पर रोक के लिए हाईकोर्ट में सुनवायी शुरू

रांची : झारखंड में एक राज्यसभा सीट के लिए दो जुलाई को होने वाले उपचुनाव में बाबूलाल मरांडी की झारखंड विकास मोर्चा (प्र) के छह बागी विधायकों के मतदान पर रोक लगाने की मांग वाली झाविमो की याचिका पर झारखंड उच्च न्यायालय में आज सुनवायी प्रारंभ हुई जो कल भी जारी रहेगी. न्यायमूर्ति एस. चंद्रशेखर […]

रांची : झारखंड में एक राज्यसभा सीट के लिए दो जुलाई को होने वाले उपचुनाव में बाबूलाल मरांडी की झारखंड विकास मोर्चा (प्र) के छह बागी विधायकों के मतदान पर रोक लगाने की मांग वाली झाविमो की याचिका पर झारखंड उच्च न्यायालय में आज सुनवायी प्रारंभ हुई जो कल भी जारी रहेगी. न्यायमूर्ति एस. चंद्रशेखर की पीठ के सामने झाविमो की ओर से अधिवक्ता आर. एन. सहाय ने बहस की.

इस मामले में बहस कल भी जारी रहेगी. सहाय ने पत्रकारों को बताया कि उन्होंने न्यायालय में दलील दी कि झाविमो के छह विधायकों के भाजपा में शामिल होने के संबन्ध में विधानसभाध्यक्ष का फैसला पूरी तरह असंवैधानिक है और यह संविधान की दसवीं अनुसूची की भावना के ही विपरीत है. उन्होंने तर्क दिया कि जब विधानसभाध्यक्ष ने झाविमो के छह विधायकों के भाजपा में शामिल होने के फैसले को लगभग स्वीकार कर लिया है और उन्हें सत्ताधारी पक्ष के साथ बैठने की सीट दे दी है तो अब इस मामले में उन्होंने तीन जुलाई को सुनवाई ही क्यों रखी है. उन्होंने न्यायालय से दो जुलाई को राज्य की एक राज्यसभा सीट के लिए हो रहे उपचुनाव में इन बागी विधायकों के मतदान पर रोक लगाने का अनुरोध किया.
राज्य विधानसभा के 82 सदस्यों में अभी 43 विधायक भाजपा के, आज्सू के पांच, झामुमो के 19, एक मनोनीत तथा अन्य 14 विधायक कांग्रेस, झारखंड विकास मोर्चा एवं छोटे दलों के हैं. भाजपा के 43 विधायकों में छह झाविमो के हैं जो पिछले वर्ष नवंबर-दिसंबर में हुए विधानसभा चुनावों में झाविमो के टिकट पर जीतने वाले आठ विधायकों में शामिल थ्
आज बहस के दौरान पार्टी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव भी उपस्थित थे. अदालत के बाहर मरांडी ने कहा कि उन्हें न्यायपालिका से न्याय मिलने की पूरी आशा है. इन छह विधायकों की सदस्यता पर निर्णय के लिए विधानसभा अध्यक्ष डॉ. दिनेश उरांव ने तीन जुलाई को अपने कक्ष में अंतिम सुनवायी रखी है.
सत्ताधारी गठबंधन के विधायकों में से आज्सू के विधायक कमल किशोर भगत को हाल में ही एक आपराधिक मुकदमे में सात वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाये जाने के बाद उनकी सदन की सदस्यता समाप्त हो गयी है. लिहाजा वह इस चुनाव में मतदान नहीं कर सकेंगे.
इसके अलावा मनोनीत विधायक राज्यसभा चुनाव में मतदान नहीं कर सकेंगे. अत: मतदान में भाग लेने के लिए सिर्फ 80 विधायक ही अधिकृत होंगे जिनमें से 47 भाजपा और उसके सहयोगी दलों के हैं जबकि शेष 33 विपक्ष में हैं. राज्य विधानसभा में विधायकों की दलगत स्थिति देखते हुए यहां से एमजे अकबर का जीतना अभी भी सुनिश्चित माना जा रहा है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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