रांची: राज्य के सबसे बड़े संस्थान रिम्स में एंबुलेंस चालकों की संख्या बहुत कम है. रिम्स में नौ एंबुलेंस है, लेकिन चालक हर शिफ्ट में मात्र तीन रहते हैं. ऐसे में मरीजों को जितना लाभ मिलना चाहिए उतना नहीं मिलता है. तीन कार्डियेक एंबुलेंस हैं, लेकिन यह आम जनता के लिए उपलब्ध नहीं रहते हैं. रिम्स प्रबंधन ने कार्डियेक एंबुलेंस की दर को भी तय नहीं किया है. इन एंबुलेंस की देखरेख भी भगवान भरोसे ही है. इससे कई बार ये एंबुलेंस ऐन मौके पर धोखा दे देती हैं.
वीआइपी मूवमेंट के लिए कार्डियेक एंबुलेंस
रिम्स का कार्डियेक एंबुलेंस सिर्फ वीआइपी मूवमेंट में निकलता है. दो एंबुलेंस को रिम्स में मिले तीन साल हो गये है, लेकिन एक या दो मरीज को छोड़ कर यह वीआइपी मूवमेंट में ही निकलता है. राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री के मूवमेंट एवं विधानसभा सत्र के दौरान इस एंबुलेंस का उपयोग किया जाता है.
शिफ्ट में काम करते हैं
रिम्स के एंबुलेंस के लिए चालकों का तीन शिफ्ट निर्धारित किया गया है. पहला शिफ्ट सुबह सात बजे से दोपहर दो बजे तक, दूसरा शिफ्ट दोपहर दो बजे से रात नौ बजे तक एवं तीसरा शिफ्ट रात नौ बजे से सुबह सात बजे का होता है. सुबह के शिफ्ट में प्रभारी को लेकर चार चालक एवं अन्य दोनों शिफ्ट में तीन चालक रहते हैं. एक चालक को डीन के साथ एवं एक चालक कोषांग के साथ रहता है. पांच डेली वेज में चालक काम करते हैं, जिसको अगले आदेश तक रखा जाता है.
मैन पावर की कमी तो है ही. डेली वेज का मामला फंसा हुआ है. यह मामला विभागीय स्तर पर लंबित है. डेली वेजज के मामले का निदान होने पर पर्याप्त संख्या में चालक हो जायेंगे.
डॉ एसके चौधरी, निदेशक रिम्स