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रांची : जैक बोर्ड के इंतजार में अटकी स्कूलों व कॉलेजों की मान्यता
रांची : झारखंड एकेडमिक काउंसिल में बोर्ड का गठन नहीं होने से राज्य के हाइस्कूल, इंटर कॉलेज, संस्कृत स्कूल व मदरसों की मान्यता के प्रस्ताव पर निर्णय नहीं हो पा रहा है. झारखंड राज्य वित्तरहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा के डॉ रघुनाथ सिंह ने कहा कि बोर्ड नहीं होने से स्कूल-कॉलेजों की मान्यता के प्रस्ताव […]
रांची : झारखंड एकेडमिक काउंसिल में बोर्ड का गठन नहीं होने से राज्य के हाइस्कूल, इंटर कॉलेज, संस्कृत स्कूल व मदरसों की मान्यता के प्रस्ताव पर निर्णय नहीं हो पा रहा है.
झारखंड राज्य वित्तरहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा के डॉ रघुनाथ सिंह ने कहा कि बोर्ड नहीं होने से स्कूल-कॉलेजों की मान्यता के प्रस्ताव पर निर्णय नहीं हो पा रहा है. झारखंड एकेडमिक काउंसिल बोर्ड की पिछली बैठक अक्तूबर 2019 में हुई थी. बोर्ड सदस्यों का पद जनवरी 2019 से रिक्त है. बोर्ड सदस्यों का कार्यकाल पूरा होने के बाद तीन विधायकों का मनोनयन सरकार द्वारा किया गया था, पर विधानसभा चुनाव की अधिसूचना होने बाद मनोनीत विधायकों का मनोनयन समाप्त हो गया. इसके बाद से जैक बोर्ड के सदस्यों का पद रिक्त है. उन्होंने कहा कि सरकार जल्द से जल्द जैक बोर्ड का गठन करे. बोर्ड का गठन नहीं होने पर मोर्चा ने हाइकोर्ट में याचिका दायर करने की बात कही है.
कौन होते हैं जैक बोर्ड के सदस्य
जैक के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, माध्यमिक शिक्षा निदेशक व एससीइआरटी के अध्यक्ष इसके पदेन सदस्य हाेते हैं. इनके अलावा एक माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य, छह ख्याति प्राप्त शिक्षाविद (कम से कम एक प्रतिनिधि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ी जाति, महिला व अल्पसंख्यक वर्ग से हों), 15 वर्ष शैक्षणिक या प्रशासनिक अनुभव प्राप्त संस्कृत के विद्वान, अरबी, फारसी या उर्दू के विद्वान, एक प्रख्यात व अनुभवी शिक्षाविद, प्लस टू विद्यालय या इंटर कॉलेज के एक प्राचार्य बाेर्ड के सदस्य होते हैं और कार्यकाल तीन वर्ष का होता है. राज्य सरकार द्वारा तीन विधायक का भी मनोनयन जैक बोर्ड के सदस्य के रूप में किया जाता है.
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