22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

रांची : रिम्स सहित सभी मेडिकल कॉलेजों से एसअारएल व मेडॉल को हटाया जायेगा

संजय रांची : स्वास्थ्य विभाग ने रिम्स सहित राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों में पीपीपी मोड के तहत पैथोलॉजी जांच का काम कर रही एसआरएल व मेडॉल जांच एजेंसी को हटाने का निर्णय लिया है. इसके बदले मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल के स्तर पर पूर्व की तरह ही इन हाउस पैथोलॉजी टेस्ट होगा. इससे पहले […]

संजय
रांची : स्वास्थ्य विभाग ने रिम्स सहित राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों में पीपीपी मोड के तहत पैथोलॉजी जांच का काम कर रही एसआरएल व मेडॉल जांच एजेंसी को हटाने का निर्णय लिया है. इसके बदले मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल के स्तर पर पूर्व की तरह ही इन हाउस पैथोलॉजी टेस्ट होगा.
इससे पहले पूर्व निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य डॉ वीएन खन्ना की अध्यक्षता में बनी विभाग की एक समिति ने मेडिकल कॉलेजों में पीपीपी मोड पर हो रही पैथोलॉजिकल जांच को गलत बताया और यह अनुशंसा की है कि मेडिकल कॉलेजों में हर तरह की पैथोलॉजी जांच अपने स्तर से यानी इन हाउस होनी चाहिए. यदि लैब संबंधी या कोई कमी हो, तो उसे तत्काल दूर किया जाये.
गौरतलब है कि रिम्स सहित एमजीएम जमशेदपुर और पीएमसीएच धनबाद में पैथोलॉजिकल टेस्ट का काम पीपीपी मोड में मेडॉल व एसआरएल को दिया गया है, जिसके बदले सरकार इन कंपनियों को गरीब मरीजों की जांच के बदले करोड़ों रुपये का भुगतान कर रही है. पीपीपी मोड के तहत जांच के लिए संबंधित कंपनियों और स्वास्थ्य विभाग के बीच 2015 में करार हुआ था. इसके मुताबिक, अगले 10 साल के लिए पैथोलॉजिकल जांच का काम इन्हें दिया गया था.
इधर, समिति ने स्पष्ट कर दिया है कि पीपीपी मोड में जांच से न सिर्फ मेडिकल कॉलेजों के विद्यार्थियों के अध्यापन व शोध, बल्कि पारा मेडिकल स्टाफ की क्षमता पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा. गौरतलब है कि मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थी व पारा मेडिकल स्टाफ भी पैथोलॉजिकल टेस्ट प्रक्रिया में अध्ययन के लिए हिस्सा लेते हैं. अब उस करार को ही दोषपूर्ण माना जा रहा है.
सरकार के हाथ बांधने वाली समझौता शर्त : राज्य के सभी जिला अस्पतालों तथा मेडिकल कॉलेजों सह अस्पतालों में पैथोलॉजी तथा रेडियोलॉजी जांच का काम पीपीपी मोड में दिया गया है. एडवांस पैथोलॉजी टेस्ट का काम 12-12 जिलों में एसआरएल व मेडॉल कर रही है. वहीं रेडियोलॉजी टेस्ट का काम मणिपाल बेंगलुरु तथा फिलिप्स इंडिया, दिल्ली के संयुक्त उपक्रम हेल्थ मैप डायग्नोस्टिक प्रा.लि. को मिला है.
इन सभी कंपनियों के साथ सरकार ने 10 वर्षों का करार किया है. पूर्व स्वास्थ्य सचिव के विद्यासागर (अब सेवानिवृत्त) के कार्यकाल में हुए इस करार की एक शर्त के मुताबिक, इस दौरान सरकार अपने किसी जिला अस्पताल के लिए पैथोलॉजी और रेडियोलॉजी जांच से संबंधित कोई उपकरण नहीं खरीद सकती है. फिलहाल जांच के लिए सरकार को पूरी तरह उपरोक्त कंपनियों पर ही निर्भर रहना होगा.
समिति की रिपोर्ट की अनुशंसा तथा कामकाज की सहूलियत के लिए पीपीपी मोड में काम कर रहीं कंपनियों को मेडिकल कॉलेजों से हटाया जायेगा. राजस्व की हानि रोकने व जनहित में यह जरूरी है.
डॉ नितिन मदन कुलकर्णी, प्रधान सचिव, स्वास्थ्य विभाग

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें