संजय, रांची : राज्य भर के 16 हजार प्रज्ञा केंद्रों (12,500 ग्रामीण तथा 3,500 शहरी) में जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र करीब साल भर से नहीं बन रहे हैं. जीएसटी के मुद्दे को लेकर प्रज्ञा केंद्रों को उक्त प्रमाण पत्र बनाने से मना कर दिया गया था. अब ये प्रमाण पत्र इस माह के अंत तक प्रज्ञा केंद्रों से बनने लगेंगे.दरअसल, राज्य सरकार में इस बारे में असमंजस की स्थिति थी कि जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्रों के लिए लिये जानेवाले जीएसटी को प्रमाण पत्र निर्गत करने की पूर्व की दर 30 रुपये के अंदर ही रखा जाये या नागरिकों से 18 फीसदी अतिरिक्त राशि (5.45 रु) ली जाये.
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प्रज्ञा केंद्रों में फिर बनेंगे जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र
संजय, रांची : राज्य भर के 16 हजार प्रज्ञा केंद्रों (12,500 ग्रामीण तथा 3,500 शहरी) में जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र करीब साल भर से नहीं बन रहे हैं. जीएसटी के मुद्दे को लेकर प्रज्ञा केंद्रों को उक्त प्रमाण पत्र बनाने से मना कर दिया गया था. अब ये प्रमाण पत्र इस माह के अंत […]
अब साल भर बाद यह निर्णय हुआ है कि नागरिकों पर अतिरिक्त बोझ नहीं डाला जायेगा तथा प्रमाण पत्रों के लिए 30 रुपये ही शुल्क लिया जायेगा. जाति, आय व आवासीय प्रमाण पत्रों के मामले में यह मुद्दा पहले ही सुलझा लिया गया था तथा प्रज्ञा केंद्रों से ये प्रमाण पत्र निर्गत हो रहे हैं.
ई-गवर्नेंस की बात अधिक, काम कम : झारखंड में प्रज्ञा केंद्रों के जरिये ई-गवर्नेंस की योजना पूरी तरह लागू नहीं हो सकी है. पहले विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी करीब डेढ़ सौ अॉनलाइन सेवाएं आम आदमी को उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया था.
पर, अब तक सभी प्रमाण पत्र भी इन केंद्रों के जरिये नहीं बन रहे. गौरतलब है कि रांची जिले में ई-डिस्ट्रिक्ट परियोजना की शुरुआत 2008 में हुई थी. पर, इस जिले में भी सभी सेवाएं अब तक लोगों को उपलब्ध नहीं हो सकी हैं.
अक्तूबर 2013 में रांची के अलावा राज्य के सभी जिलों में ई-डिस्ट्रिक्ट परियोजना की शुरुआत की गयी. एक प्रज्ञा केंद्र संचालक ने कहा कि कई सेवाएं अॉनलाइन होने के बावजूद सरकारी बाबूओं से मिलना जरूरी है. जैसे तत्काल के तहत कोई प्रमाण पत्र बनाने के लिए सीओ या एसडीओ से आवेदन पर दस्तखत कराना होता है.
ऐसे में तत्काल की अॉनलाइन सेवा बेमानी हो जाती है. उसी तरह विभिन्न पेंशन स्कीम (वृद्धा, विकलांगता व विधवा पेंशन) के तहत दिये गये आवेदन प्रखंड स्तर पर निरस्त कर दिये जाते हैं. यह सब वर्ष 2011 में झारखंड इलेक्ट्रॉनिक सेवा प्रदाय अधिनियम के लागू होने तथा 2013 में इसे बाध्यकारी बनाने के बावजूद हो रहा है.
मतदाता पहचान पत्र प्रिंट करने का काम भी शुरू होगा
उधर, प्रज्ञा केंद्रों के जरिये ही मतदाता पहचान पत्र (वोटर आइडी) प्रिंट करने का काम भी शुरू होनेवाला है, जो लंबे समय से रुका है. प्रज्ञा केंद्रों के केंद्रीय समन्वयक शंभू कुमार के अनुसार, पहले वोटर आइडी के लिए राज्य स्थित एनआइसी के अांकड़ों की ही सहायता ली जाती थी.
अब इसके लिए पैन इंडिया का डाटाबेस इस्तेमाल होगा. इधर समन्वयक की अोर से चुनाव आयोग को एक पत्र दिया गया है, जिसमें आग्रह किया गया है कि प्रज्ञा केंद्रों के जरिये मतदाता पहचान पत्र प्रिंट कर निर्गत करने के लिए फॉर्म-01 के अनुमोदन देने में शीघ्रता दिखाया जाये.
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