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रांची सांसद के सवाल पर केंद्रीय मंत्री का जवाब: चावल, गेहूं के अलावे मोटे अनाज भी मिलेंगे 1 रुपये किलो

रांची : केंद्र सरकार ने राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में खाद्यान्न वितरण के लिए चावल और गेहूं के अलावे मोटे अनाज भी जन वितरण प्रणाली में एक रुपये प्रति किलो देने का प्रावधान किया है. इसके लिए नियम भी बनाये गये हैं, ताकि विभिन्न राज्यों में उपजाये जाने वाले मोटे अनाज जैसे बाजरा, राई, […]

रांची : केंद्र सरकार ने राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में खाद्यान्न वितरण के लिए चावल और गेहूं के अलावे मोटे अनाज भी जन वितरण प्रणाली में एक रुपये प्रति किलो देने का प्रावधान किया है. इसके लिए नियम भी बनाये गये हैं, ताकि विभिन्न राज्यों में उपजाये जाने वाले मोटे अनाज जैसे बाजरा, राई, मड़ुआ, मक्का व इससे मिलते जुलते ऐसे अनाज, जिनमें काफी मात्रा में न्यूट्रीशन व अन्य आवश्यक तत्व मौजूद होते हैं. इनके वितरण की समुचित व्यवस्था भी हो सके.

इस बात की जानकारी उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्यमंत्री दानवे रावसाहेब ने रांची के सांसद संजय सेठ को लोकसभा में दी. संजय सेठ ने यह सवाल किया था कि क्या अच्छे स्वास्थ्य के लिए पौष्टिक आहार सुनिश्चित करने की दिशा में चावल, गेहूं के अलावे अन्य अनाजों के भी वितरण की व्यवस्था केंद्र सरकार के द्वारा की गयी है? और इसके क्या नियम है?

इसी सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने विस्तृत जानकारी उपलब्ध करायी है. जिसमें यह स्वीकार किया गया है कि एक रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर चावल और गेहूं के अलावे रागी, ज्वार, बाजरा, मक्का, मड़ुआ इत्यादि मोटे अनाज उपलब्ध कराने का प्रावधान है. इसके पीछे सरकार की यह सोच है कि देश के अलग-अलग राज्यों में ऐसे कई अनाजों का उत्पादन होता है जो स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी लाभदायक है.

इन्हीं अनाजों के वितरण को लेकर केंद्र सरकार ने यह नियम बनाये हैं. यह काफी समय पहले से ही सार्वजनिक जन वितरण प्रणाली के तहत वितरण की व्यवस्था में शामिल है. इन मोटे अनाजों की खरीदारी राज्यों व केंद्र सरकार के द्वारा भंडारण और वितरण का काम विकेंद्रीकृत खरीद प्रणाली के तहत किया जाता है.

इसके तहत विभिन्न राज्यों के अधीन भी यह मामला होता है कि जो राज्य अपने यहां ऐसे मोटे अनाजों का वितरण करना चाहते हैं, उन्हें वितरण के लिए मात्रा का आकलन भी करना होता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि खरीदा गया अनाज उसी राज्य में सार्वजनिक जन वितरण प्रणाली के माध्यम से वितरित किया जा सके.

सार्वजनिक वितरण प्रणाली के द्वारा 2015 में निर्गत आदेश के अनुसार राज्य सरकार उचित दर पर दुकानों के प्रचालन में सुधार करने के लिए दुकान पर लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अधीन खाद्यान्नों के अलावे अन्य आवश्यक सामग्री के वितरण की भी अनुमति देगी. इसमें चावल, गेहूं व अन्य मोटे अनाजों के इतर कई दूसरे सामान भी शामिल हैं.

बेहतर पोषाहार समर्थन के लिए केंद्रीय नीति आयोग की अध्यक्षता में प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा वर्ष 2017 में एक कमेटी का गठन किया गया था. जिसमें व्यापक विचार-विमर्श के बाद मोटे अनाजों को जन वितरण प्रणाली के तहत वितरित करवाकर पोषण में सुधार किया जाना भी शामिल था.

इसी के तहत केंद्र व राज्य सरकारें सार्वजनिक जन वितरण प्रणाली के माध्यम से आम जनता के बीच चावल, गेहूं के अलावे एक रुपये प्रति किलो के हिसाब से दूसरे मोटे पौष्टिक अनाजों का भी वितरण करवाती है.

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