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कर्मियों के स्थायीकरण के लिए रिपोर्ट नहीं दे रहे आयुक्त और उपायुक्त
रांची : विभिन्न विभागों व जिला कार्यालयों में सृजित पदों के विरुद्ध गत 10 वर्षों से कार्यरत अस्थायी कर्मियों को स्थायी किया जाना है, पर आयुक्त व उपायुक्त जिला व प्रमंडल स्तर पर कार्यरत ऐसे कर्मियों की रिपोर्ट ही नहीं दे रहे हैं. इधर राजस्व, निबंधन व भू-सुधार विभाग ने नौ जनवरी को इस संबंध […]
रांची : विभिन्न विभागों व जिला कार्यालयों में सृजित पदों के विरुद्ध गत 10 वर्षों से कार्यरत अस्थायी कर्मियों को स्थायी किया जाना है, पर आयुक्त व उपायुक्त जिला व प्रमंडल स्तर पर कार्यरत ऐसे कर्मियों की रिपोर्ट ही नहीं दे रहे हैं.
इधर राजस्व, निबंधन व भू-सुधार विभाग ने नौ जनवरी को इस संबंध में चौथा स्मार पत्र जारी किया है. इससे पहले 23 जुलाई 2019 के विभागीय पत्र के बाद 16 सितंबर, 25 अक्तूबर तथा 16 दिसंबर को स्मार पत्र भेजा गया था.
गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश (नरेंद्र कुमार तिवारी बनाम झारखंड राज्य) के आलोक में इन अस्थायी कर्मियों को स्थायी किया जाना है. विभागीय सचिव केके सोन ने सभी अायुक्त व उपायुक्तों को स्पष्ट कर दिया है कि स्थायीकरण संबंधी प्रस्ताव समय पर नहीं मिलने के कारण यदि कोई मामला लंबित रह जाता है या न्यायालय तक पहुंचता है, तो इसकी पूरी जिम्मेवारी संबंधित उपायुक्त की होगी.
सचिव ने सभी आयुक्त व उपायुक्त से आग्रह किया है कि सेवा नियमितीकरण नियमावली 2015 (संशोधित) के प्रावधान के आलोक में प्रमंडल या जिला स्तर पर सेवा शर्त पूरी करने वाले अस्थायी कर्मियों से आवेदन लेकर तथा सेवा नियमितीकरण के लिए गठित समिति की अनुशंसा के साथ नियुक्त प्रस्ताव उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें. निर्धारित अवधि के बाद इस पर विचार नहीं किया जायेगा, जिसके लिए उपायुक्त उत्तरदायी होंगे. प्राप्त नियुक्ति प्रस्ताव पर कार्मिक व वित्त विभाग की सहमति के बाद इसे कैबिनेट के पास भेजा जायेगा.
स्थायीकरण संबंधी महत्वपूर्ण बातें
अस्थायी कर्मियों का स्थायीकरण स्वीकृत पद के विरुद्ध ही होना है.
वही कर्मी स्थायी होंगे, जो गत 10 वर्षों से लगातार सेवा में है.
जो पद स्वीकृत न हो तथा अभ्यर्थी शैक्षणिक योग्यता पूरी न करता हो, तो बाद में ऐसा होने पर भी विचार नहीं होगा.
नियमितीकरण में आरक्षण के प्रावधान का अनुपालन होगा.
स्थायीकरण का प्रस्ताव विभाग के मामले में संबंधित विभाग तथा जिला संबंधी मामलों में प्रशासी विभाग (भू-राजस्व) को भेजा जाना है.
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