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रांची : सीबीआइ ने 15.65 करोड़ के बैंक घोटाले में तीन प्राथमिकी दर्ज की

रांची : सीबीआइ रांची (आर्थिक अपराध शाखा) ने 15.65 करोड़ रुपये के बैंक घोटाले में तीन प्राथमिकी दर्ज की है. प्राथमिकी में तीन लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया है.तीनों एक ही परिवार के हैं. इनके खिलाफ व्यापार के नाम पर बैंक से कर्ज लेने, व्यापारिक गतिविधियों का गलत ब्योरा देने और तीन बैंकों को […]

रांची : सीबीआइ रांची (आर्थिक अपराध शाखा) ने 15.65 करोड़ रुपये के बैंक घोटाले में तीन प्राथमिकी दर्ज की है. प्राथमिकी में तीन लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया है.तीनों एक ही परिवार के हैं. इनके खिलाफ व्यापार के नाम पर बैंक से कर्ज लेने, व्यापारिक गतिविधियों का गलत ब्योरा देने और तीन बैंकों को कुल 15.65 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया है. सीबीआइ ने भारतीय स्टेट बैंक के चीफ मैनेजर रविशंकर चौधरी की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की है.
सीबीआइ ने पहली और दूसरी प्राथमिकी में अरुण कुमार तिवारी (पति) और सरस्वती देवी (पत्नी) को अभियुक्त बनाया है. तीसरी प्राथमिकी में अरुण कुमार तिवारी और रितेश कुमार तिवारी (पुत्र) को नामजद अभियुक्त बनाया है.
पहली प्राथमिकी में यह आरोप लगाया गया है कि आरोपी दंपती ने मेसर्स सरस्वती कंपोनेंट के नाम पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, सरायकेला से 7.80 करोड़ रुपये का कर्ज लिया. कर्ज की रकम से गाड़ियों की खरीद-बिक्री की. इसके बाद बैंक और रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के यहां अलग-अलग बैलेंस शीट दाखिल किया.
बैलेंस शीट में यह दिखाया गया कि कंपनी ने 2013-14 में 145.95 करोड़ और 2014-15 में 147.62 करोड़ रुपये का कारोबार किया. दूसरी तरह बैंक में दाखिल बैलेंस शीट में यह दिखाया गया कि कंपनी ने 2013-14 में 91.43 करोड़ और 2014-15 में 62.10 करोड़ रुपये का व्यापार किया. मामले की जांच में पाया गया कि कंपनी ने टाटा मोटर्स से गाड़ियां खरीदने के बाद उसे सोनपुर, हाजीपुर, गोपालगंज और छपरा स्थित शो रूम और सर्विस सेंटर के माध्यम से बेचा.
हालांकि इस खरीद-बिक्री को लोन अकाउंट में नहीं दिखाया गया. कंपनी ने इलाहाबाद बैंक और आंध्रा बैंक से भी क्रेडिट की सुविधा ले रखी थी. 2016 में एकाउंट एनपीए हो गया.इससे बैंक को 7.57 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. पति-पत्नी और पिता-पुत्र द्वारा चलायी जानेवाली सभी कंपनियों का पता एक ही है.
बैलेंस शीट में भारी अंतर : सीबीआइ द्वारा दर्ज दूसरी प्राथमिकी में पति-पत्नी पर यह आरोप लगाया गया है कि दोनों ने व्यापारिक वाहनों की खरीद बिक्री के लिए पांच करोड़ रुपये का कर्ज लिया. इसमें भी बैंक और कंपनी रजिस्ट्रार के यहां दाखिल की गयी बैलेंस शीट में भारी अंतर था. 2016 में अकाउंट के एनपीए होने की वजह से बैंक को 4.92 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ
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कर्ज की रकम के इस्तेमाल में शर्तों का उल्लंघन
सीबीआइ द्वारा दर्ज की गयी तीसरी प्राथमिकी में पिता और पुत्र को अभियुक्त बनाया गया है. इसमें आरोप लगाया गया है कि दोनों ने साईं हाइड्रोलिक के नाम पर 2.50 करोड़ का कर्ज लिया. इस कर्ज का बैंक द्वारा तय शर्तों का उल्लंघन कर इस्तेमाल किया. इसके बाद कर्ज व सूद चुकाना बंद कर दिया. इससे दिसंबर 2016 में अकाउंट एनपीए हो गया. इससे बैंक को 3.15 करोड़ का नुकसान हुआ.
अभियुक्तों का ब्योरा
– मेसर्स सरस्वती कंपोनेंट मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड, आदित्यपुर इंडस्ट्रीयल एरिया
– अरुण कुमार तिवारी, शिवपुरी कॉलोनी, पॉल बिल्डिंग के पास, बारा गम्हरिया
– सरस्वती देवी, शिवपुरी कॉलोनी, पॉल बिल्डिंग के पास, बारा गम्हरिया, सरायकेला

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