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रांची : कोयला खदानों में पर्यावरण सुरक्षा के लिए बनेगा सस्टेनेबल डेवलपमेंट सेल

एसडीसी योजना तैयार करेगा और कोयला कंपनियों को सलाह देगा रांची : कोयला मंत्रालय देश में कोयला खनन को पर्यावरण के दृष्टिकोण से अनुकूल बनाने के उद्देश्य से सस्टेनेबल डेवलपमेंट सेल (एसडीसी) स्थापित करेगा. इसका उद्देश्य खनन कार्य बंद होने के बाद पर्यावरण को होनेवाले नुकसान से निबटना है. मंत्रालय द्वारा बंद खदानों के उचित […]

एसडीसी योजना तैयार करेगा और कोयला कंपनियों को सलाह देगा
रांची : कोयला मंत्रालय देश में कोयला खनन को पर्यावरण के दृष्टिकोण से अनुकूल बनाने के उद्देश्य से सस्टेनेबल डेवलपमेंट सेल (एसडीसी) स्थापित करेगा. इसका उद्देश्य खनन कार्य बंद होने के बाद पर्यावरण को होनेवाले नुकसान से निबटना है. मंत्रालय द्वारा बंद खदानों के उचित पुनर्वास के लिए विश्वस्तरीय प्रैक्टिस को अपनाया जायेगा. इस बात की सूचना खान विभाग झारखंड को भी दी गयी है.
एसडीसी योजना तैयार करेगा और कोयला कंपनियों को सलाह देगा. उपलब्ध संसाधनों के अधिकतम उपयोग और खनन का पर्यावरण पर न्यूनतम नुकसान पर विशेष ध्यान दिया जायेगा. इस संबंध में एसडीसी कोयला मंत्रालय के नोडल प्वाइंट के रूप में काम करेगा. एसडीसी पर्यावरण नुकसान को कम करने के उपायों पर एक नीतिगत फ्रेमवर्क तैयार करेगा.
एसडीसी के प्रमुख कार्य : आंकड़ों का संग्रह, आंकड़ों का विश्लेषण, सूचनाओं की प्रस्तुति, सूचना आधारित योजना तैयार करना, सर्वोत्तम अभ्यासों को अपनाना, परामर्श, नये विचार तथा लोगों और समुदायों के जीवन को आसान बनाना. ये सभी कार्य योजनाबद्ध तरीके से पूरे किये जायेंगे.
बताया गया कि खानों से संबंधित सभी प्रकार के आंकड़े, मानचित्र आदि जीआइएस आधारित प्लेटफॉर्म के जरिये इकट्ठे किये जायेंगे. जीआइएस संबंधी सभी गतिविधियां सीएमपीडीआइएल द्वारा की जायेगी. कोयला कंपनियों को उन क्षेत्रों की जानकारी दी जायेगी, जहां पेड़ लगाये जा सकते हैं. बंद खनन क्षेत्र की जमीन पर कृषि, बागवानी, नवीकरणीय ऊर्जा, नये टाउनशिप, पुनर्वास आदि की संभावनाओं की भी जांच की जायेगी. कोयला कंपनियों को वायु तथा ध्वनि प्रदूषण को कम करने के उपायों के बारे में बताया जायेगा.
कोयला खानों के संदर्भ में खासकर बंद खदानों में जल की मात्रा, गुणवत्ता, भूतल पर जल प्रवाह, खान के पानी को बाहर निकालना, भविष्य में जल उपलब्धता से संबंधित आंकड़ों का संग्रह किया जायेगा. आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर कोयला खान जल प्रबंधन योजना (सीएमडब्लयूएमपी) तैयार की जायेगी. इसके आधार पर पानी के भंडारण, शोधन और फिर से उपयोग के तरीकों की सलाह दी जायेगी, ताकि इसका उपयोग सिंचाई, मछली पालन, पर्यटन या उद्योग के लिए किया जा सके.

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