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विधानसभा चुनाव 2019 : प्रकृति और संस्कृति बचानेवालों को चुनें

सुनिए झारखंड के नायकों को : हम खुश रहेंगे, तभी राज्य में खुशहाली आयेगी पद्मश्री मुकुंद नायक आजादी व लोकतंत्र का महत्व समझना हो, तो अाजादी से पहले का वक्त याद करें. चुनावी राजनीति इस लोकतंत्र को बनाये रखने की जरूरी प्रक्रिया है. गुलामी के दौरान मुख्य दल कांग्रेस सहित दूसरी राजनीतिक जमात के समक्ष […]

सुनिए झारखंड के नायकों को : हम खुश रहेंगे, तभी राज्य में खुशहाली आयेगी
पद्मश्री मुकुंद नायक
आजादी व लोकतंत्र का महत्व समझना हो, तो अाजादी से पहले का वक्त याद करें. चुनावी राजनीति इस लोकतंत्र को बनाये रखने की जरूरी प्रक्रिया है. गुलामी के दौरान मुख्य दल कांग्रेस सहित दूसरी राजनीतिक जमात के समक्ष एक उद्देश्य था- देश की अाजादी. राष्ट्र हित व राष्ट्र प्रेम सबसे ऊपर था, पर आजादी मिलते ही राजनीतिक दलों व समाज दोनों में टूट व बिखराव शुरू हो गया. कुरसी, दौलत व शोहरत की दौड़ शुरू हो गयी. जो पहले देश में हुआ, वही अलग राज्य गठित होने के बाद झारखंड में हो रहा है.
राष्ट्र की आजादी तथा झारखंड निर्माण में संस्कृति कर्मी, कवि व लेखकों का भी योगदान है. इसे याद रखा जाना चाहिए. आज सबकी बात करने वाले कम हो रहे हैं. हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सरना, मुंडा, खड़िया की बात अलग-अलग हो रही है. इन सबमें झारखंड की मुख्य सोच गायब है.
यह बात तो माननी होगी कि किसी देश व राज्य को राजनीति ड्राइव करती है. इस नाते राजनीतिज्ञों, राजनीतिक दलों व सरकारों की यह सोच बनाने में बड़ी भूमिका है. इसलिए हर फोरम के लोग उन लोगों को चुनें, जो सबको खुशी देने वाले हों.
जो प्रकृति व संस्कृति बचाने वाले हों. एक संस्कृति कर्मी होने के नाते मैं चाहूंगा कि जो भी नयी सरकार आये, वह अखड़ा केंद्र को महत्व दे. सभी शैक्षणिक संस्थानों व पंचायतों में अखड़ा केंद्र बने, जहां लोग नाच-गा सकें. हम खुश रहेंगे, तभी राज्य में भी खुशहाली आयेगी.

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