ये लो! 11 माह पार्किंग शुल्क कम होने का इंतजार करती रही शहर की जनता
जनहित का कोई फैसला जब सरकारी रफ्तार से चलता है, तो उसका लाभ जनता तक पहुंचने में देर कैसे हो जाती है, राजधानी की पार्किंग पॉलिसी इसका ताजा नमूना है. पूरी कहानी आपको आगे समझायेंगे, लेकिन अभी यह जान लीजिए कि रांची नगर निगम ने साल भर पहले ही पार्किंग दरें घटाने का प्रस्ताव नगर विकास विभाग के पास भेजा था. अब जब नयी पार्किंग दर लागू हो चुकी है, तो नगर विकास मंत्री सीपी सिंह कहते हैं कि नगर निगम ने बेवजह ही यह प्रस्ताव विभाग को भेजा था. इस पर नगर निगम खुद ही फैसला लेने में सक्षम था.
यानी नगर निगम के विभागीय पचड़े में पड़ने की वजह से बीते 11 महीनों से शहर की जनता की जेब हल्की होती रही और ठेकेदार मौज करते रहे.
उत्तम महतो
रांची : रांची नगर निगम ने वर्ष 2017 में राजधानी के लिए नयी पार्किंग पॉलिसी बनायी थी. इसके तहत दोपहिया के लिए 10 रुपये और चारपहिया के लिए 40 रुपये प्रति घंटे पार्किंग शुल्क तय किया गया. इसके बाद टेंडर निकाल कर राजधानी के 24 पार्किंग स्थलों को ठेकेदारों के हवाले कर दिया गया. इधर, ठेकेदारों और नगर निगम की मोटी कमाई शुरू हो गयी. लेकिन साल बीतते-बीतते इस पार्किंग पॉलिसी का विरोध भी होने लगा.
खुद नगर विकास मंत्री सीपी
सिंह ने भी माना था कि राजधानी रांची में पार्किंग शुल्क जरूरत से ज्यादा है. इससे कम पार्किंग शुल्क तो देश की राजधानी दिल्ली में है. आम जनता के विरोध को देखते हुए दो नवंबर 2018 को हुई नगर निगम की स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में पार्किंग शुल्क आधा करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गयी. इसके अालोक में पांच जनवरी 2019 को नगर आयुक्त ने नगर विकास सचिव को पत्र लिख कर मार्गदर्शन मांगा.
आठ महीने विभाग में पड़ा रहा नगर आयुक्त का पत्र
हैरत की बात यह है कि नगर आयुक्त द्वारा नगर विकास सचिव को लिखा गया पत्र करीब आठ महीने तक विभाग में ही पड़ा रहा. अगस्त 2019 में विभाग ने नगर निगम के पत्र का जवाब दिया कि नगर निगम सक्षम संस्था है. वह ट्रैफिक को-ऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक बुलाकर पार्किंग शुल्क कम कर सकता है. इसके बाद 26 अगस्त को ट्रैफिक को-ऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक हुई, जिसमें पार्किंग शुल्क घटने का फैसला हुआ. हालांकि, इसमें भी दोपहिया के लिए 10 रुपये और चारपहिया के लिए 30 रुपये प्रति घंटा की दर से पार्किंग शुल्क वसूलने को मंजूरी दी गयी.
निगम बोर्ड के अंतिम निर्णय के 22 दिन बाद तक जारी नहीं किया गया पार्किंग घटाने का आदेश
ट्रैफिक को-ऑर्डिनेशन कमेटी के फैसले को अनुमोदन के लिए निगम बोर्ड की बैठक में रखा गया. लेकिन बोर्ड ने कमेटी के फैसले को खारिज कर दिया और दोपहिया के लिए पांच रुपये और चारपहिया के लिए 20 रुपये प्रति तीन घंटे की दर निर्धारित की. हालांकि, इसके बाद भी 22 दिनों तक निगम अधिकारियों ने किसी प्रकार का आदेश नहीं निकाला. इस कारण लोगों से ठेकेदार पुरानी दर पर ही पार्किंग शुल्क वसूलते रहे. अंत में 24 सितंबर को ट्रैफिक को-ऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक हुई, जिसमें पार्किंग शुल्क की नयी दरें एक अक्तूबर से लागू करने का फैसला हुआ.
निगम की स्टैंडिंग कमेटी से प्रस्ताव को स्वीकृत करा कर सरकार के पास भेज दिया गया था. सरकार के पास ही काफी दिनों तक यह प्रस्ताव पेंडिंग रहा. इसके बाद सरकार ने कहा कि निगम ट्रैफिक को-ऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक करा कर पार्किंग शुल्क में कमी कर सकता है. इसलिए इसे लागू होने में विलंब हुआ.
आशा लकड़ा, मेयर
नगर निगम जो काम खुद करने में सक्षम था, उसे सरकार के पास भेजने का कोई औचित्य ही नहीं था. हर काम में विभाग से सलाह मांगना भी उचित नहीं है. वैसे भी पार्किंग शुल्क काफी अधिक था. इसे कम करने के लिए सबसे पहली आवाज मैंने ही उठायी थी.
सीपी सिंह, नगर विकास मंत्री
सभी ठेकेदारों को नयी दर की तालिका लगाने का निर्देश
रांची. राजधानी में एक अक्तूबर से नयी पार्किंग दर लागू हो गयी. इसके तहत अब दोपहिया वाहन के लिए पांच रुपये और चारपहिया वाहन के लिए 20 रुपये प्रति तीन घंटे के हिसाब से पार्किंग शुल्क वसूला जायेगा.
नगर निगम के इस आदेश के बाद भी मंगलवार को कई स्थानों से निगम को यह शिकायतें मिली कि ठेकेदार के लोग मनमानी कर रहे हैं. इसके बाद निगम की बाजार शाखा ने सभी ठेकेदारों को निर्देश दिया गया कि वे हर हाल में बुधवार को अपने-अपने क्षेत्राधिकार के पार्किंग स्थलों पर नयी दर तालिका को अंकित करें. बुधवार को जिन पार्किंग स्थलों में नयी दर तालिका साइन बोर्ड पर नहीं पायी जायेगी, उन पर कार्रवाई की जायेगी.