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रांची : कब तक पूरी होगी सिख दंगों की जांच

हाइकोर्ट ने आयोग से पूछा रांची : हाइकोर्ट में शुक्रवार को 1984 के सिख दंगों के पीड़ितों को मुआवजा व आपराधिक मामलों के स्पीडी ट्रायल को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. एक्टिंग चीफ जस्टिस एचसी मिश्र व जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने एक सदस्यीय जांच आयोग से जानना चाहा कि मामलों की […]

हाइकोर्ट ने आयोग से पूछा
रांची : हाइकोर्ट में शुक्रवार को 1984 के सिख दंगों के पीड़ितों को मुआवजा व आपराधिक मामलों के स्पीडी ट्रायल को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. एक्टिंग चीफ जस्टिस एचसी मिश्र व जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने एक सदस्यीय जांच आयोग से जानना चाहा कि मामलों की जांच व पीड़ितों को चिह्नित करने का काम कब तक पूरा होगा. इसमें और कितना समय लगेगा. खंडपीठ ने आयोग को रिपोर्ट दायर करने को कहा.
इससे पूर्व सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनोज टंडन ने खंडपीठ में आवेदन दायर कर कहा कि आयोग की समय सीमा तय की जाये. पिछले तीन वर्षों से सेवानिवृत्त जस्टिस डीपी सिंह की अध्यक्षता में सिख दंगों की जांच चल रही है. सरकार ने चार मई 2016 को एक सदस्यीय आयोग का गठन किया था, लेकिन आयोग की समय सीमा तय नहीं की गयी थी.
इस पर प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय ने बताया कि केंद्र सरकार ने वर्ष 1990 में उपायुक्तों को मुआवजा के लिए राशि भेज दी थी. वह राशि कोषागारों में है. सरकार ने हाइकोर्ट के आदेश के आलोक में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया, लेकिन उसे आधारभूत संरचना उपलब्ध नहीं करायी गयी, जिसके चलते आयोग जांच पूरी नहीं कर पाया है.
चारा घोटाला मामले में पूर्व सांसद को जमानत : हाइकोर्ट के जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत में चारा घाेटाला मामले में सजायाफ्ता पूर्व सांसद डॉ आरके राणा की अोर से दायर अपील सह जमानत याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने प्रार्थी व सीबीआइ के जवाब को देखते हुए जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए आधी सजा काटने के आधार पर जमानत की सुविधा प्रदान की. साथ ही एक लाख रुपये बतौर जुर्माना जमा करने का निर्देश दिया.
सूचना आयुक्तों की नियुक्ति मामले में कहां तक कार्रवाई हुई : हाइकोर्ट में राज्य सूचना आयोग में सूचना आयुक्तों के रिक्त पदों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. एक्टिंग चीफ जस्टिस एचसी मिश्र व जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से पूछा कि सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया था, उस पर अब तक क्या कार्रवाई हुई है. नियुक्ति की प्रक्रिया किस स्टेज में है. राज्य सरकार को शपथ पत्र के माध्यम से जवाब दायर करने का निर्देश दिया गया. इससे पूर्व प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता अभय कुमार मिश्र ने खंडपीठ को बताया कि सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त को छोड़ कर सभी आयुक्तों का पद वर्षों से रिक्त है.
लगभग 26000 अपील मामले लंबित हैं. सरकार सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए कई बार विज्ञापन निकाल चुकी है. श्री मिश्र ने कहा कि पहले लोकसभा चुनाव का बहाना बनाया गया. अब आगे विधानसभा चुनाव होना है, उसे बहाना बना कर सूचना आयुक्तों की नियुक्ति को टाल दिया जायेगा.
योगेंद्र साव के बेल मामले में स्टेटस रिपोर्ट मांगी: हाइकोर्ट के जज अनंत बिजय सिंह की अदालत में एनटीपीसी खनन मामले में आरोपी पूर्व कृषि मंत्री योगेंद्र साव की अोर से दायर जमानत याचिका पर सुनवाई हुई.
अदालत ने सरकार को केस का स्टेटस रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया. अगली सुनवाई 18 अक्तूबर को हागी. प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता देवाशीष सोरेन ने बताया कि मामले के सूचक ने अपने बयान में कहा है कि घटना के दिन एक अक्तूबर 2016 को पूर्व मंत्री योगेंद्र साव घटनास्थल पर माैजूद नहीं थे. बयान की सत्यापित प्रति अदालत के समक्ष प्रस्तुत की गयी.
विधायक निर्मला की जनहित याचिका खारिज: हाइकोर्ट में हजारीबाग के बड़कागांव क्षेत्र में एनटीपीसी के लिए जमीन अधिग्रहण को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. एक्टिंग चीफ जस्टिस एचसी मिश्र व जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने प्रार्थी व सरकार के जवाब को देखते हुए याचिका खारिज कर दिया. पिटीशन में आपराधिक मामलों की जानकारी नहीं देने के कारण याचिका खारिज हो गयी.
इससे पूर्व सरकार की अोर से अपर महाधिवक्ता मनोज टंडन ने बताया कि प्रार्थी का क्रेडेंशियल सही नहीं है. उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं. उन्होंने याचिका में इस बात को छुपाया है. वैसी स्थिति में उनकी अोर से दायर याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. इसे खारिज किया जाना चाहिए.

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