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रांची : 30 साल लड़ती रहीं मुकदमा आखिरकार नसीब हुई छत

कोर्ट के आदेश पर माया चौबे परिवार के साथ अपने घर में हुईं दाखिल रांची : कोर्ट के आदेश के बाद बुधवार को जिला प्रशासन ने चुटिया थाना के समीप के एक मकान में दखलदिहानी का कार्य पूरा कराया. पिछले 30 वर्षों से इस मकान पर किरायेदार अनिल सिंह का कब्जा था. जब भी मकान […]

कोर्ट के आदेश पर माया चौबे परिवार के साथ अपने घर में हुईं दाखिल
रांची : कोर्ट के आदेश के बाद बुधवार को जिला प्रशासन ने चुटिया थाना के समीप के एक मकान में दखलदिहानी का कार्य पूरा कराया. पिछले 30 वर्षों से इस मकान पर किरायेदार अनिल सिंह का कब्जा था. जब भी मकान मालिक माया चौबे का परिवार अनिल सिंह को घर खाली करने के लिए कहता वह मारपीट पर उतारू हो जाता. इसके बाद माया चौबे के परिवार ने कोर्ट का सहारा लिया. कोर्ट द्वारा माया के पक्ष में फैसला दिया गया. इसके बाद बुधवार को पुलिस बल व मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में अनिल सिंह के सामान को घर से निकाल कर माया चौबे को घर हैंडओवर कर दिया गया.
नहीं हुआ किसी प्रकार का विरोध : माया चौबे को घर दिलाने के लिए जून में पुलिस पहुंची थी. लेकिन उस वक्त अनिल सिंह व उसके परिजनों के द्वारा हंगामा व मारपीट किये जाने के बाद मजिस्ट्रेट व पुलिस के जवान भी भाग खड़े हुए थे. इसके बाद किरायेदार व उसके परिजनों पर चुटिया थाना में केस दर्ज करवाया गया था. हालांकि इस बार पुलिस के जवान पूरी तैयारी के साथ आये थे. मजिस्ट्रेट के साथ पहुंची पुलिस ने सबसे पहले किरायेदार को स्वेच्छा से घर खाली करने का आदेश दिया. इसके बाद माया चौबे व उसका परिवार इस मकान में शिफ्ट हो गये.
घर खाली करने को तैयारी नहीं थे किरायेदार
रांची : माया चौबे के बेटे अंकित के अनुसार उसके दादा स्व जोखन चौबे ने 1983 में गुलजार सरावगी से मकान को खरीदा था. उसके बाद अनिल सिंह के पिता स्व जगत नारायण सिंह व उसके भाई गिरजा सिंह किरायेदार की हैसियत से मकान में शिफ्ट किये.
कुछ सालों बाद जब मकान खाली करने को कहा गया तो वे लोग मारपीट पर उतारू हो गये. इसके बाद अदालत का दरवाजा खटखटाया. पहली बार सिविल कोर्ट से उन्हें 2001 में डिग्री मिली. लेकिन अनिल सिंह का परिवार कोर्ट के आदेश को दरकिनार करते हुए मकान में जमा रहा.
उसके बाद वर्ष 2010 में उन्हें कोर्ट से डिग्री मिली. इसके बाद भी मकान खाली नहीं किया और मामला हाइकोर्ट में चला गया. वहां भी चौबे परिवार को डिग्री मिली और अनिल सिंह केस हार गया. इसके बाद वर्ष 2015 में तीसरी बार माया चौबे के पक्ष में ही अदालत ने फैसला सुनाया. लेकिन मकान पर कब्जा नहीं मिल सका.

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