रांची : राज्य गठन के 19 साल होने को हैं, लेकिन अब भी मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना के पुलों का डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) कंसल्टेंट के माध्यम से ही बनवाया जा रहा है. इतने वर्षों बाद भी विभाग अपने स्तर पर डीपीआर बनाने का सिस्टम डेवलप नहीं कर पाया है. इस वजह से डीपीआर निर्माण की राशि निजी कंपनियों को देनी पड़ रही है.
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19 साल बाद भी कंसल्टेंट ही बना रहे हैं डीपीआर
रांची : राज्य गठन के 19 साल होने को हैं, लेकिन अब भी मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना के पुलों का डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) कंसल्टेंट के माध्यम से ही बनवाया जा रहा है. इतने वर्षों बाद भी विभाग अपने स्तर पर डीपीआर बनाने का सिस्टम डेवलप नहीं कर पाया है. इस वजह से डीपीआर निर्माण […]
हर साल राज्य में 90 से 100 पुल योजनाअों की स्वीकृति होती है और इस पर काम भी कराया जाता है, लेकिन किसी भी पुल योजना का डीपीआर विभागीय स्तर पर नहीं बनता है. विभाग ने कंसल्टेंट बहाल कर रखा है. इनके माध्यम से ही सभी पुलों का डीपीआर तैयार हो रहा है. डीपीआर तैयार होने के बाद की सारी प्रक्रियाएं विभागीय इंजीनियर करते हैं.
एस्टिमेट का एक फीसदी होता है भुगतान : विभागीय इंजीनियरों ने बताया कि सामान्य तौर पर डीपीआर बनानेवाली कंपनियों को एस्टिमेट का एक फीसदी भुगतान करना पड़ता है. इंजीनियरों का कहना है कि कंपनियों को कार्य स्थल पर जाकर सारे तरह के काम करने होते हैं.
डीपीआर के लिए बोरिंग करना पड़ता है. कई तरह के उपकरण का इस्तेमाल होता है. ऐसे में डीपीआर तैयार करने के लिए एवज में कंसल्टेंट पर कुल एस्टिमेट का ज्यादा पैसा खर्च नहीं हो रहा, बल्कि विभाग को काम कराने में आसानी हो रही है.
ये हैं कंसल्टेंट : फिलहाल विभाग ने स्पर्श इंजीनियरिंग, रांची डिजाइन, आशा इंफ्रा, यूनिवर्सल इंजीनियरिंग सहित अन्य को कंसल्टेट नियुक्त किया गया है.
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