रांची : भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने प्रभात खबर की 35वीं वर्षगांठ पर आयोजित दो दिवसीय समारोह का उद्घाटन किया. राजधानी के होटल रेडिशन ब्लू में हुए कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति ने अपने मन की बात साझा की. पत्रकारिता व मीडिया पर अपना दृष्टिकोण रखा. मातृभाषा व देश की शिक्षा पद्धति के साथ ही कश्मीर व धारा 370 पर भी अपने विचार रखे.
हिंदी पत्रकारिता में प्रभात खबर के योगदान की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने डिजिटल मीडिया के दौर में प्रिंट को ज्यादा विश्वसनीय और ग्राह्य बताया. उन्होंने चेतना जगाने और जन सरोकार की पत्रकारिता जारी रखने की उम्मीद बतायी. साथ ही मीडिया को सनसनी फैलाने की कोशिश से दूर रह कर ब्रेकिंग न्यूज की संस्कृति समाप्त करने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि पत्रकारिता का उद्देश्य जनसेवा ही होना चाहिए.
कश्मीर के मुद्दे पर भी उपराष्ट्रपति ने कहा
कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा. धारा 370 कोई राजनीतिक नहीं, राष्ट्रीय मुद्दा है. सदन में चर्चा के बाद ही इसे हटाने का फैसला हुआ. राज्यसभा में बहुमत नहीं होने के बावजूद दो तिहाई मतों से सदन ने धारा 370 खत्म करने का निर्णय लिया. कश्मीर भारत का है, इस पर कोई बहस नहीं है.
इस मुद्दे पर किसी दूसरे देश से कोई सलाह लेने या चर्चा करने की जरूरत नहीं है. श्री नायडु ने मातृभाषा का ज्ञान आवश्यक बताते हुए कहा कि भारतीय भाषाओं का आगे बढ़ना बहुत जरूरी है. भाषा और भावना हमेशा एक साथ चलती है. पर, असल में हमारी शिक्षा पद्धति में ही गड़बड़ी है. अंग्रेजों द्वारा तैयार की गयी वर्षों पुरानी शिक्षा पद्धति आज भी देश में चल रही है. हमें अपनी संस्कृति की चीजों को पढ़ाना चाहिए. हमें अंग्रेजी भी जाननी चाहिए. लेकिन, मातृभाषा सबसे पहले हो.
कार्यक्रम में रहे शामिल
कार्यक्रम के दौरान राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश, झारखंड की डाक महाध्यक्ष शशि शालिनी कुजूर, प्रभात खबर के प्रबंध निदेशक केके गोयनका, प्रभात खबर के प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी, प्रभात खबर के कार्यकारी निदेशक आरके दत्ता भी मंचासीन थे.
- उपराष्ट्रपति ने जीवन के अनुभव बताये पत्रकारिता व मीडिया पर दृष्टिकोण रखा
- वेंकैया नायडु ने डिजिटल मीडिया के दौर में प्रिंट को ज्यादा विश्वसनीय व ग्राह्य बताया
- जनसेवा ही हो पत्रकारिता का उद्देश्य, मीडिया सनसनीन फैलाये, ब्रेकिंग न्यूज की संस्कृति समाप्त होनी चाहिए
कश्मीर व धारा 370 पर बोले उपराष्ट्रपति
- कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा. धारा 370 राजनीतिक नहीं राष्ट्रीय मुद्दा
- राज्यसभा में बहुमत नहीं होने पर भी दो तिहाई मतों से सदन ने धारा 370 खत्म करने का निर्णय लिया
- इस मुद्दे पर किसी दूसरे देश से कोई सलाह लेने या चर्चा करने की जरूरत नहीं है
राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा – स्वयं विकसित होने वाले राज्य ही देश के विकास में भागीदारी निभाते हैं
समारोह की विशिष्ट अतिथि राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने देश के छोटे राज्यों से उम्मीद जतायी. कहा कि स्वयं विकसित होने वाले राज्य ही देश के विकास में भागीदारी निभाते हैं. बड़े राज्यों को पुनर्गठित कर नये राज्य के उदय होने से विकास कार्य अवरुद्ध होने की बात बिल्कुल गलत है. पूर्व में असम से अलग होकर बने राज्यों में हुआ विकास कार्य अपनी गाथा कहता है.
झारखंड के निर्माण के समय कई राजनीतिक दल इसके खिलाफ थे. पर, आज बिहार के साथ झारखंड की तुलना करने पर सच्चाई सामने आ जाती है. बेहतर प्रशासन और जनता तक सीधी पहुंच के लिए छोटे राज्यों का होना बहुत जरूरी है. राज्यपाल ने जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन की बात करते हुए उम्मीद जतायी कि उपेक्षित लद्दाख को नया मुकाम मिलेगा. जम्मू और कश्मीर का भी अन्य राज्यों की तरह विकास होगा.
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा –धारा 370 व 35ए कर रहा था जम्मू कश्मीर के विकास को अवरुद्ध
समारोह की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि जनसंघ के काल से भाजपा छोटे राज्यों की पक्षधर रही है. भाजपा ने देश से क्षेत्रीय असंतुलन दूर करने का काम किया. वहीं, कुछ राजनीतिक दलों ने झारखंड को बेचने व खरीदने का काम किया है. झारखंड का इतिहास गौरवशाली है.
स्वतंत्रता आंदोलन में झारखंड के महापुरुष भगवान बिरसा मुंडा, सिदो-कान्हू समेत कई लोगों ने अपनी अहम भूमिका निभायी. छोटे राज्य होने पर विकास तेजी से सरपट दौड़ने लगता है, बशर्ते की राज्य में स्थायी सरकार हो. प्रधानमंत्री के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 व 35ए को खत्म करने का काम हुआ. यह राज्य के विकास को अवरुद्ध कर रहा था. साथ ही अलगाववाद व आतंकवाद को खाद-पानी देने का काम कर रहा था. अब जम्मू-कश्मीर व लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश होंगे.
झारखंड गौरव सम्मान से नवाजी गयीं हस्तियां
प्रभात खबर की 35वीं वर्षगांठ पर आयेजित कार्यक्रम में राज्य और समाज के विकास में योगदान देनेवाली राज्य की महत्वपूर्ण हस्तियों को शनिवार को उपराष्ट्रपति ने सम्मानित किया. इन्हें प्रभात खबर की ओर से झारखंड गौरव सम्मान से नवाजा गया.
गोपालदास मुखर्जी
मलूटी के मंदिरों के संरक्षण का कार्य : दुमका के मलूटी गांव के रहनेवाले गोपालदास मलूटी के मंदिरों पर लंबे समय से शोध कर रहे हैं.
पं मोर मुकुट केडिया और पं मनोज केडिया
सितार और सरोद वादन के क्षेत्र में : गिरिडीह के केडिया बंधु को कलाश्री, सरस्वती सम्मान, रोटरी सम्मान, झारखंड सम्मान, नेशनल अवार्ड भी मिले हैं.
प्रवीण लोहिया
लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार : रांची के प्रवीण लोहिया मुक्ति संस्था के माध्यम से लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार नि:स्वार्थ भाव से कर रहे हैं.
एंथोनी सी फर्नांडो
समाजसेवा ही उद्देश्य : चक्रधरपुर के एंथोनी 12 वर्षों से असहाय, मानसिक रूप से बीमार व लावारिस लोगों का इलाज कराते हैं. पेशे से रेलवे में गार्ड हैं.
नरेंद्र कुमार पंजियारा
बैद्यनाथ कला के हैं प्रणेता : देवघर के नरेंद्र पंजियारा बैद्यनाथ कला के प्रणेता कहे जाते हैं. इन्हें केंद्र की ओर से सीनियर फेलोशिप प्रदान की गयी है.
तपन पटनायक
छऊ नृत्य को प्रोत्साहित किया : तपन पटनायक ने छऊ नृत्य कला को कोल्हान विवि के सिलेबस में शामिल कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है.
शुभाशीष दास
मेगालिथिक के शोधकर्ता : 20 वर्षों से आदिवासियों के मेगालिथों पर शोध करते हुए देश में कई मेगालिथों को खोजा. चार पुस्तकें भी लिखीं.
लाल विजय नाथ शाहदेव
फिल्म निर्माण के क्षेत्र में : लोहरदगा के हेसापीढ़ी गांव के लाल विजय ने फिल्मों के जरिये नक्सल, डायन प्रथा सहित कई मुद्दों को भी उठाया है.
मिथिशन सरदार
वनों की रक्षा का उठाया बीड़ा : टाटा-हाता रोड स्थित कुदादा निवासी मिथिशन सरदार 40 साल से वन-पर्यावरण को बचाने लिए अभियान चला रहे हैं.
वेंकैया का ट्वीट
प्रभात खबर की 35वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु शामिल हुए. ट्वीट कर उन्होंने प्रभात खबर परिवार को बधाई भी दी.
प्रभात खबर मीडिया कॉन्क्लेवआज के कार्यक्रम
- विषय : पत्रकारिता से उम्मीदें
- विषय : पत्रकारिता से उम्मीदें
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प्रभात खबर की 35वीं वर्षगांठ पर आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन रविवार को ‘प्रभात खबर मीडिया कॉन्क्लेव-2019’ का आयोजन किया जायेगा. कार्यक्रम में अतिथि वक्ता के रूप में वरिष्ठ पत्रकार प्रभु चावला, अार राजगोपालन, संजीव श्रीवास्तव और आलोक मेहता उपस्थित रहेंगे.