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अनुज सिन्हा की पुस्तकों के लोकार्पण समारोह में बोले हरिवंश, मोहनदास करमचंद गांधी को रांची ने गांधी बनाया

रांची :रांची के मोरहाबादी स्थित आर्यभट्ट सभागार में प्रभात खबर के कार्यकारी संपादक अनुज कुमार सिन्हा की चार किताबों का लोकार्पण किया गया. इस अवसर पर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि झारखंड में गांधी जहां-जहां गये थे, वहां एक शिलापट्ट के जरिए उसी स्थान पर जानकारी दी जाए कि गांधी […]

रांची :रांची के मोरहाबादी स्थित आर्यभट्ट सभागार में प्रभात खबर के कार्यकारी संपादक अनुज कुमार सिन्हा की चार किताबों का लोकार्पण किया गया. इस अवसर पर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि झारखंड में गांधी जहां-जहां गये थे, वहां एक शिलापट्ट के जरिए उसी स्थान पर जानकारी दी जाए कि गांधी कब आये थे और उन्होंने क्या कहा था. इस शिलापट्ट से युवाओं को इतिहास की जानकारी मिलेगी. मुख्यमंत्री ने इशारे में हामी भरकर हरिवंश के इस आग्रह को स्वीकार किया. गांधी को गांधी रांची ने कैसे बनाया इस पर भी विस्तार से चर्चा हुई.

इस मौके पर उन्होंने शोध करने के लिए युवाओं को प्रेरित किया. हरिवंश ने कहा, अगर युवा टाना भगत, गांधी पर शोध करना चाहें तो यहां पर्याप्त सामग्री है. इन किताबों से भी मदद मिलेगी इन किताबों के नाम हैं महात्मा गांधी की झारखंड यात्रा, असली झारखंड, झारखंड के आदिवासी पहचान का संकट और ब्यूरोक्रेट्स और झारखंड. लोकार्पण समारोहमें राज्यसभाकेउपसभापतिहरिवंश,मुख्यमंत्रीरघुवरदास, पद्मश्री अशोक भगत, प्रभात खबर के प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी, प्रभात प्रकाशन के एमडी डॉ पियूष कुमार शामिल थे.

राज्यसभा उपसभापति हरिवंश ने क्या कहा

चार पुस्तकों के लोकार्पण समारोह में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा, 150वीं जयंती के मौके पर देश और विदेश में चर्चा चल रही है. महात्मा गांधी को महात्मा गांधी बनाने वाला रांची है. अहिंसा के जरिए देश दुनिया को बदला जा सकता है इसकी चर्चा भी रांची में हुई. मजदूरों के बारे ने गांधी जी ने भाषण दिया. गांधी जहां-जहां आये वहां शिलापट्ट लगा देना चाहिए. बच्चे और लोग आएं तो प्रेरणा ग्रहण करके जाएं. गांधी रांची आये तो सारी बातचीत रांची में हुई. मजदूरों पर झरिया में भाषण दिया. गांधी को गांधी रांची ने बनाया.
गांधी जी ने मिट्टी से जुड़े लोगों को इतना ताकतवर बना दिया कि दुनिया के सभी देश आज झुक गये. गांधी से पहले का इतिहास हिंसा का रहा है. गांधी अकेले हुए जिन्होंने नये आंदोलन का बीज डाला. पश्चिम मानता था कि तिकड़म, झूठ और हिंसा से ही सत्ता तक पहुंचा जा सकता है. लेकिन गांधी ने साबित किया कि ऐसा नहीं है. गांधी जी नेजोचीजें कहीं वह कैसे प्राशंगिक हैं. हरिवंश ने देवघर सहित झारखंड के कई यात्राओं का जिक्र किया.
हरिवंश ने ऐसे कई लेखों का जिक्र किया जिसमें नाम नहीं है, उनका संकलन भी जरूरी है. कई ऐसे लेख हैं जो बगैर नाम के लिखे जाते थे लोगों को लगता था कि मैं लिखता था. अज्ञात, अनाम से लोग लिखते थे. इसे भी लाना चाहिए संकलन करना चाहिए. गर्वनेंस रिपोर्ट पर प्रभात खबर ने काम किया. झारखंड डेवलपमेंट रिपोर्ट हम निकालते रहे. टॉप अर्थशास्त्री इसमें शामिल होते थे. सोशल ऑडिट 100 पेज का निकलता था. अनुज इस तरह का काम भी आगे करते रहेंगे. इन चारों किताबों का जिक्र करते हुए हरिवंश ने कई यादों का जिक्र किया कि कैसे लोग खुद लेख लेकर लिखने आते थे. कई लोग ऐसे थे जिन्हें खुद आमंत्रण देकर लिखने के लिए बुलाते थे.
मुख्यमंत्री रघुवर दास
मुख्मयंत्री रघुवर दास ने अनुज कुमार सिन्हा को बधाई देते हुए कहा, ये पुस्तकें आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा देगी. अनुज किसी भी विषय को अच्छी समझ रखते हैं. राज्य में आदिवासी संकट में नही हैं. हां उनकी संस्कृति पर संकट है. धर्मांतरण एक बड़ी समस्या झारखंड में है. कई लोगों ने इस संस्कृति को खत्म करने की साजिश की लेकिन आज भी आदिवासी अपनी संस्कृति से जुड़े हैं.
अपनी झारखंड यात्रा के दौरान खूंटी में महात्मा गांधी ने मुंडा समुदाय के लोगों से बात की थी और चिंता व्यक्ति की थी. अनुज जी ने इस प्रसंग का जिक्र भी किताब में किया है. संस्कृति की जड़े इतनी मजबूत हैं कि कोई इसे हिला नही सकता है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपनों का भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनाने की कोशिश कर रहे हैं. जिसके तहत आज सारा देश स्वच्छता अभियान से जुड़ गया है. प्रधानमंत्री ने 2014 में आह्वान किया था कि हम गांधी के चरणों में स्वच्छ भारत दे सकते हैं क्या? पूरा देश इस अभियान से जुड़ गया. मुख्यमंत्री ने आड्रे हाउस में गांधी पर सामग्री इकट्ठा करने और प्रदर्शनी लगाने की भी बात कही.
पद्मश्री अशोक भगत
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विकास भारती के पद्मश्री अशोक भगत ने कहा, अनुज जी ने झारखंड की धड़कनों को शब्दों में उतार दिया है. अनुज जी पत्रकारिता से जुड़े हैं इसलिए हर कदम पर जनता के साथ रहते हैं. पहले दो दशकों में कई चीजें लिखी है. अनुज जी ने उन तमाम लेखकों को आकार दिया है.
यह आज की पीढ़ी के लिए खास है. गांधी झारखंड के लिए प्रसांगिक हैं. झारखंड का गांधी जी के आंदोलन से पुराना संबंध है. गांधी जी की 150वीं जयंति को लेकर योजना बन रही थी. इसमें मुख्यमंत्री रघुवर दास, हरिवंश जी मौजूद थे. गांधी के पहले टाना भगत आंदोलन चला है. जिसे मुख्यमंत्री ने महत्व दिया, उन्हें पहली बार अधिकार मिला है. इससे गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि दी गयी है.

लेखक और प्रभात खबर के कार्यकारी संपादक अनुज सिन्हा

कार्यक्रम में शामिल हुए मुख्यमंत्री और उपसभापति को आभार जताते हुए अनुज सिन्हा ने कहा, मेरी 9 किताबों में आठ किताबों का लोकार्पण आप दोनों ने किया है.इन चार किताबों में गांधी के झारखंड यात्रा का जिक्र है. जब मैं गांधी जी की झारखंड यात्रा पर जानकारी ढुढ़ रहा था तो परेशानी हो रही थी. मैंने सोचा क्यों ना इसे किताब का रूप दिया जाए.
गांधी के चंपारण आंदोलन में रांची की अहम भूमिका थी. 1917 में गांधी यहां आये थे. इस पुस्तक में गांधी कहां-कहां गये इसका पूरा जिक्र है. अपने अनुभवों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, मेरा जीवन प्रभात खबर है, झारखंड से बाहर मैं कभी सोचता ही नहीं हूं. 35 सालों में प्रभात खबर में झारखंड को क्या दिया है, यहां के आंदोलन में लोगों की भूमिका अहम रही है. दस्तावेज खत्म हो रहे हैं. 35 साल के वर्षगांठ के अवसर पर इन दस्तावेजों को बाहर लाने का फैसला किया.

आशुतोष चतुर्वेदी ( प्रभात खबर प्रधान संपादक )

हमारे वरिष्ठ सहयोगी अनुज जी की चार किताबों का लोकार्पण हो रहा है. हमें खुशी है और आशा है कि आगे भी यह सफर जारी रहेगा. अनुज जी के साथ यात्रा में मुझे कई चीजें समझने को मिली. झारखंड की उन्हें बहुत सारी जानकारी है. उन्होंने विस्तार से मुझे कई बातें बतायी हैं. इन पुस्तकों के माध्यम से झारखंड के इतिहास और बिखरी हुई चीजों को एक जगह इकट्ठा किया है. एक सहयोगी के रूप में वह ईमानदार और जोशिले हैं. पत्रकारिता के लिए उनमें पैशन है. वह राजनीति पर जितनी ऊर्जा से लिखते हैं उतना ही दूसरे विषयों पर भी लिखते हैं. किताबों को पढ़ने की रूची लोगों में कम हो रही है. उम्मीद करता हूं यह चार किताबें इसमें हस्तक्षेप करेंगी. इस मौके पर आशुतोष चर्तुवेदी ने अमेरिका का जिक्र किया जिसमें बताया कि कैसे लोगों को एक चेक भरना भी ठीक से नहीं आता. यहां उन्होंने एक घटना का जिक्र किया कि कैसे एक सोशल पोस्ट के जरिये लोग किताबों की तरफ खींचे चले आते हैं. यहां उन्होंने गुलजार की एक कविता का भी जिक्र किया किताबें झांकती हैं..

के. के गोयनका ( एमडी)

अनुज सिन्हा की किताबों का जिक्र करते हुए के. के योगनका ने कहा, अनुज जी की पुस्तक बरगद बाबा का दर्द प्रधानमंत्री ने पढ़ी और उसकी प्रशंसा की और पत्र लिखा है. प्रभात खबर की यात्रा के बारे में भी अनुज सर ने किताब लिखी. इस यात्रा के साथी हरिवंश जी भी रहे हैं. पिछले महीने मुझे हरिवंश जी के द्वारा लिखी गयी पुस्तक के लोकार्पण समारोह में शामिल होने का अवसर मिला. मैं उन्हें एक बारफिरउसपुस्तक के लिए बधाई देता हूं. हरिवंश जीऔरअनुज जी से जुड़ा रहा हूं. मैंने हरिवंश जी के साथ कई यात्राएं की हैं. पुस्तकों के प्रति उनका लगाव अद्धभुत है. गांधी जी पर लिखी पुस्तक झारखंड वासियों की तरफ से सच्ची श्रद्धांजलि है.

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