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रांची : हटाये गये दारोगाओं के मामले में सुनवाई पूरी, आदेश सुरक्षित
रांची : झारखंड हाइकोर्ट में गुरुवार को हटाये गये 42 दारोगाअों के मामले में एकल पीठ के आदेश को चुनाैती देनेवाली अपील याचिकाअों पर सुनवाई हुई. जस्टिस एचसी मिश्र व जस्टिस दीपक राैशन की खंडपीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया. इससे पूर्व राज्य सरकार की अोर से महाधिवक्ता अजीत […]
रांची : झारखंड हाइकोर्ट में गुरुवार को हटाये गये 42 दारोगाअों के मामले में एकल पीठ के आदेश को चुनाैती देनेवाली अपील याचिकाअों पर सुनवाई हुई. जस्टिस एचसी मिश्र व जस्टिस दीपक राैशन की खंडपीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया. इससे पूर्व राज्य सरकार की अोर से महाधिवक्ता अजीत कुमार ने खंडपीठ को बताया कि 384 दारोगा की नियुक्ति की गयी थी. कोर्ट के आदेश के आलोक में संशोधित मेरिट लिस्ट जारी की गयी. 42 नये अभ्यर्थी संशोधित लिस्ट में शामिल हो गये.
इस कारण पूर्व से प्रशिक्षित व नियुक्त 42 दारोगा सूची से बाहर हो गये. बाद में सरकार ने उनकी सेवा समाप्त कर दी. एकल पीठ ने हटाये गये दारोगाअों को भविष्य में होनेवाली नियुक्तियों में प्राथमिकता देने को कहा है. भविष्य की नियुक्तियों में इन्हें प्राथमिकता देना या समायोजित कठिन होगा. महाधिवक्ता ने एकल पीठ के आदेश को निरस्त करने का आग्रह किया. प्रतिवादियों ने सरकार की दलील का विरोध किया.
दंड देने के पूर्व पुलिस मैनुअल का क्यों नहीं हुआ अनुपालन : हाइकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने गुरुवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए प्रार्थी को दंड देने संबंधी आदेश को निरस्त कर दिया.
याचिका को स्वीकार करते हुए अदालत ने कहा कि कार्रवाई करने के पूर्व पुलिस मैनुअल का अनुपालन क्यों नहीं किया गया. इससे पूर्व प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता ऋषिकेश गिरि ने अदालत को बताया कि उनके खिलाफ कार्रवाई उचित नहीं है. पुलिस मैनुअल के साथ-साथ नेचुरल जस्टिस का भी अनुपालन नहीं किया गया है. उन्हें वृहद दंड के रूप में एक वार्षिक वेतन वृद्धि, जो दो कालांक के बराबर है, दी गयी है. उसे निरस्त करने का आग्रह किया.
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