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छह माह में सिर्फ 23 दिन ही झारखंड में रहे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय
रांची : लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस के कार्यकर्ता दो गुटों में बंट गये हैं. एक गुट हार का ठीकरा प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय कुमार पर फोड़ रहा है. इनका आरोप है कि डॉ अजय ने संगठन में समय नहीं दिया. इन्होंने संगठन को पुलिसिया ढंग से चलाया, जिसकी वजह से कार्यकर्ता […]
रांची : लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस के कार्यकर्ता दो गुटों में बंट गये हैं. एक गुट हार का ठीकरा प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय कुमार पर फोड़ रहा है. इनका आरोप है कि डॉ अजय ने संगठन में समय नहीं दिया. इन्होंने संगठन को पुलिसिया ढंग से चलाया, जिसकी वजह से कार्यकर्ता पार्टी से दूर होते चले गये. अपने दो वर्ष के कार्यकाल के दौरान प्रदेश अध्यक्ष ने राज्य के विभिन्न जिलों के चार दर्जन से ज्यादा कार्यकर्ताओं को पार्टी से निकाला.
पार्टी के पूर्व प्रवक्ता राकेश सिन्हा, सुरेंद्र सिंह व पार्टी के अन्य कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाते हुए कहा है कि लोकसभा चुनाव के दौरान भी डॉ अजय नन रेजिडेंट झारखंड की भूमिका में रहे. पिछले छह माह (जनवरी से जून 2019 तक) के दौरान सिर्फ 23 दिन ही झारखंड में रहे. इसमें अधिकांश समय वे राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी समेत अन्य केंद्रीय नेताओं के साथ रहे.
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ किसी प्रकार की कोई रणनीति नहीं बनायी. आठ जून को कांग्रेस भवन में लोकसभा चुनाव परिणाम की समीक्षा के दौरान भी बैठक में मौजूद नहीं रहे. जबकि वे प्रभारी आरपीएन सिंह के साथ रांची आये, लेकिन विरोध के डर से प्रदेश कार्यालय नहीं गये. राजधानी के एक होटल में रात गुजारी. इस दौरान उन्होंने पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं से मुलाकात की.
इसके बाद दूसरे दिन फिर दिल्ली चले गये. लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद डॉ अजय कुमार ने नैतिक जिम्मेवारी लेते हुए प्रदेश प्रभारी को इस्तीफा भेज दिया था. हालांकि अभी तक आलाकमान की ओर से इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है.
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