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रांची : बच्चेदानी की जगह अंडाशय में पल रहा था बच्चा गुरुनानक अस्पताल के डॉक्टरों ने बचायी जान

रांची : गुरुनानक अस्पताल में खूंटी निवासी तरन्नुम आरा (28 वर्ष) को नयी जिंदगी मिली है. बच्चेदानी की जगह अंडाशय में पल रहा भ्रूण जब तीन माह बाद पेट में आया, तो तरन्नुम की जिंदगी संकट में आ गयी थी. पेट दर्द और पेशाब की समस्या पर परिजन उसे गुरुनानक अस्पाताल ले आये, जहां सर्जन […]

रांची : गुरुनानक अस्पताल में खूंटी निवासी तरन्नुम आरा (28 वर्ष) को नयी जिंदगी मिली है. बच्चेदानी की जगह अंडाशय में पल रहा भ्रूण जब तीन माह बाद पेट में आया, तो तरन्नुम की जिंदगी संकट में आ गयी थी.
पेट दर्द और पेशाब की समस्या पर परिजन उसे गुरुनानक अस्पाताल ले आये, जहां सर्जन डॉ सुनील कुमार व स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ पुष्पा पांडेय की देखरेख में महिला को भर्ती किया गया. अल्ट्रासाउंड जांच में पाया गया कि महिला का एक अंडाशय फटा हुआ है और रक्तस्राव के कारण पेट फूला हुआ है. महिला का हिमोग्लोबीन भी चार ग्राम के पास था.
परिजनों के आग्रह पर डॉ सुनील सिंह, डॉ पुष्पा पांडेय, इंटेंसिविस्ट
डॉ ऋषिकेश झा व एनेस्थेटिक
डॉ एके सिन्हा की देखरेख में मिहला का ऑपरेशन किया गया. डॉ सुनील ने बताया कि तीन माह का भ्रूण जिंदा था. उसके हाथ-पैर और सिर विकसित हो चुके थे, लेकिन महिला की जिंदगी को देखते हुए खराब अंडाशय को काट कर निकाल दिया गया. दूसरा अंडाशय और बच्चेदानी ठीक होने के कारण उसे छोड़ दिया गया. अत: महिला के दोबारा मां बनने की उम्मीदें बरकरार हैं. डॉ सुनील के मुताबिक इस तरह की समस्या को मेडिकल भाषा में एक्टोपिक प्रेगनेंसी कहा जाता है. महिला को चार यूनिट ब्लड चढ़ाया गया. ऑपरेशन के बाद मरीज की स्थिति ठीक है. मंगलवार को उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी जायेगी.

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