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रांची : अपर मुख्य सचिव को सरयू राय ने लिखा पत्र, कहा, कम से कम विश्व पर्यावरण दिवस को राज्य वायु प्रदूषण मुक्त रहे

रांची : खाद्य आपूर्ति मंत्री सह पर्यावरण चिंतक सरयू राय ने वन, पयार्वरण व जलवायु परिवर्तन विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखा है. उन्होंने लिखा है कि इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस (पांच जून) का श्लोगन वायु प्रदूषण को पराजित व समाप्त करना है. वायु प्रदूषण का भीषण दंश झेल रहे देशों में […]

रांची : खाद्य आपूर्ति मंत्री सह पर्यावरण चिंतक सरयू राय ने वन, पयार्वरण व जलवायु परिवर्तन विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखा है. उन्होंने लिखा है कि इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस (पांच जून) का श्लोगन वायु प्रदूषण को पराजित व समाप्त करना है.
वायु प्रदूषण का भीषण दंश झेल रहे देशों में प्रमुख स्थान रखने वाला देश चीन इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजक है. गत वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजक देश भारत था और उद्देश्य था प्लास्टिक को परास्त करना.
प्लास्टिक के अविवेकपूर्ण उपयोग से पर्यावरण को हो चुके व हो रहे नुकसान की चिंता से दुनिया को अवगत कराने, इसके दुष्परिणामों के विरुद्ध जन-जागरुकता पैदा करने तथा इसे समाप्त करने के लिये दुनिया भर में विशेष कार्यक्रम हुए. इसी प्रकार वायु प्रदूषण को परास्त करना/समाप्त करने का अभियान इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस (पांच जून) से शुरू होगा और साल भर चलेगा.
हम अवगत हैं कि देश और दुनिया में वायु प्रदूषण की भयावहता पर्यावरणवेताओं एवं नीति निर्माताअों के लिये घोर चिंता का विषय बना हुआ है.
झारखंड के विभिन्न इलाके में भी वायु प्रदूषण की स्थिति काफी गंभीर है. खनन, परिवहन, उद्योग तथा विभिन्न निर्माण कार्यों की तरह आर्थिक गतिविधियों वाले इलाके में इसकी भयावहता जानलेवा साबित हो रही है. सतत विकास एवं जन स्वास्थ्य के लिये आर्थिक विकास से जुड़ी अनेक गतिविधियों के पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन करना और इसके प्रतिकुल प्रभावों की रोकथाम के लिए समुचित योजनाएं लागू करना अत्यंत आवश्यक है.
पर लगातार विकराल होती जा रही वायु प्रदूषण की भयावहता के बारे में जितनी चिंता नीति एवं कार्यक्रम निर्माण और क्रियान्वयन के स्तर पर राज्य सरकार के वन एवं पर्यावरण विभाग को होनी चाहिए तथा इसकी रोकथाम के लिये जितनी तत्परता राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को बरतनी चाहिए उसका घोर अभाव परिलक्षित हो रहा है.
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इस बारे में विधि द्वारा प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करने में विफल रहा है. राज्य में वायु प्रदूषण से ग्रस्त क्षेत्रों की पहचान करने, उन क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के आंकड़े इकट्ठा करने के लिए जरूरी उपकरण स्थापित करने, चिमनियों से हो रहे प्रदूषक उत्सर्जनों को रोकने तथा इसके कारण हो रही स्वास्थ्य समस्याओं की पहचान-निदान करने के प्रति राज्य की संस्थायें और विभाग गंभीर नही है.
मेरा सुझाव है कि इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर पांच जून को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उस दिन राज्य वायु प्रदूषण से मुक्त रहेगा.
वायु प्रदूषण करने वाली औद्योगिक इकाइयां एवं विविध आर्थिक गतिविधियां या तो उस दिन वायु प्रदूषण मुक्त उत्पादन करें या अपनी गतिविधियां बंद रखें. राज्य सरकार एवं अधीनस्थ कार्यालयों में आयोजित होनेवाले विश्व पर्यावरण दिवस के कार्यक्रमों के लिये भी इस आशय के ठोस निर्देश जारी किये जाने चाहिए तथा राज्य के सभी अंगों को इस हेतु सक्रिय किया जाना चाहिए.
विशेष सतर्कता के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि आगामी पांच जून को झारखंड वायु प्रदूषण से मुक्त रहेगा और प्रदूषकों को इसके लिये बाध्य किया जायेगा. अन्यथा विश्व पर्यावरण दिवस मात्र एक औपचारिकता बनकर रह जायेगा और वायु प्रदूषण की समस्या विकराल होती जायेगी.
प्लास्टिक रोकना था, पर बैलून लगे थे
वर्ष 2018 के विश्व पर्यावरण दिवस का उद्देश्य वाक्य था प्लास्टिक को परास्त करना. पर पांच जून 2018 को खेल गांव में आयोजित राजकीय कार्यक्रम में बड़ी संख्या में सजावटी बैलूनों एवं प्लास्टिक होर्डिंग्स की भरमार थी. एक अनुमान के मुताबिक इस कार्यक्रम में प्लास्टिक के सजावटी सामानों पर करीब 35 लाख रुपये का खर्च आया था.
इस कार्यक्रम पर हुए करोड़ों के निष्फल व्यय की जांच राज्य के लोकायुक्त द्वारा किये जाने के समाचार अखबारों ने कुछ दिन पूर्व प्रकाशित किया था. यह आयोजन मात्र औपचारिकता बनकर रह गया. यह ध्यान रखा जाना चाहिए. कि इस वर्ष पांच जून को सरकार द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण दिवस का कार्यक्रम घोषित उद्देश्य के अनुरूप हो.

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