रांची : झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड बिजली तारों में चीनी मिट्टी के (पॉली प्रॉपलिन) इंसुलेटरों की जगह पर अब रबराइज्ड फाइबर मेटेरियल से बने पॉलीमर इंसुलेटर का उपयोग करेगा. इन नये इंसुलेटर के इस्तेमाल से अक्सर होनेवाले फाॅल्ट पर राेक लगने के साथ ही बारिश और ठंड के मौसम में अक्सर पंक्चर रहने से […]
रांची : झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड बिजली तारों में चीनी मिट्टी के (पॉली प्रॉपलिन) इंसुलेटरों की जगह पर अब रबराइज्ड फाइबर मेटेरियल से बने पॉलीमर इंसुलेटर का उपयोग करेगा. इन नये इंसुलेटर के इस्तेमाल से अक्सर होनेवाले फाॅल्ट पर राेक लगने के साथ ही बारिश और ठंड के मौसम में अक्सर पंक्चर रहने से घंटों बिजली आपूर्ति बाधित नहीं रहेगी.
निगम प्रयोग के तौर पर नयी ट्रासंमिशन लाइनों पर फाइबर के इंसुलेटर लगा रहा है, जिसके ऊपर रबर की परत लगी हुई है. जब भी इंसुलेटर पंक्चर होगा तो रबर की परत जल जायेगी और कर्मचारियों को फाॅल्ट ढूंढने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी.
बारिश में इन लाइनों में नहीं होगी फॉल्ट : जानकारी के मुताबिक हटिया वन ग्रिड से सिकिदरी तक 70 किलोमीटर लाइन को पॉलीमर इंसुलेटर से कवर किया जा चुका है. वहीं, हटिया से नामकुम तक के ट्रांसमिशन लाइन के बीच पैंथर कंडक्टर को हटा कर नये इंसुलेटर लगाये गये हैं. शहर के एलटी लाइनों के बीच भी इसका इस्तेमाल कहीं-कहीं किया गया है. इसके साथ ही नियमों के हिसाब से उच्च क्षमता वाले (एचटी) तारों की जमीन से ऊंचाई सात से आठ मीटर के बीच रहनी चाहिए. लाइन एचटीएलएस होने से शैग (तारों को लटकना) कम हो गया है, इससे जमीन से तारों की दूरी पहले की तुलना में बढ़ गयी है.