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तीन बार कुरमी व छह बार ब्राह्मण प्रत्याशी गिरिडीह से जीते
मनोज सिंह इस बार आजसू व झामुमो ने कुरमी जाति से बनाया है उम्मीदवार रांची : गिरिडीह संसदीय क्षेत्र में बोकारो व धनबाद जिला भी पड़ता है. तीनों जिलों के दो-दो विधानसभा सीट इस संसदीय सीट में पड़ते हैं. यह ओबीसी बहुल संसदीय क्षेत्र है. इसके बावजूद इस संसदीय क्षेत्र से अब तक मात्र तीन […]
मनोज सिंह
इस बार आजसू व झामुमो ने कुरमी जाति से बनाया है उम्मीदवार
रांची : गिरिडीह संसदीय क्षेत्र में बोकारो व धनबाद जिला भी पड़ता है. तीनों जिलों के दो-दो विधानसभा सीट इस संसदीय सीट में पड़ते हैं. यह ओबीसी बहुल संसदीय क्षेत्र है.
इसके बावजूद इस संसदीय क्षेत्र से अब तक मात्र तीन बार ही कुरमी प्रत्याशी की जीत हुई है. नौ बार इस संसदीय सीट के प्रतिनिधित्व अन्य जाति के प्रत्याशियों ने किया है. पिछले छह चुनाव से यहां से रवींद्र पांडेय चुनाव जीतते आ रहे हैं. श्री पांडेय ब्राह्मण जाति से आते हैं. इस बार भाजपा ने यह सीट गठबंधन के साथी आजसू पार्टी को दे दिया है. आजसू पार्टी ने यहां से कुरमी जाति के ही रामगढ़ के विधायक चंद्रप्रकाश चौधरी को उम्मीदवार बनाया है.
वहीं झारखंड मुक्ति मोरचा ने भी ने कुरमी जाति के विधायक जगरनाथ महतो को उम्मीदवार बनाया है. गिरिडीह जिले में पिछड़ी जाति की आबादी पूरे राज्य में सबसे अधिक है. यहां करीब 63.06 फीसदी पिछड़ी जाति के लोग रहते हैं. धनबाद के ग्रामीण इलाकों वाली दो विधानसभा सीट (टुंडी और बाघमारा) भी इसी संसदीय सीट का हिस्सा है. धनबाद में करीब 43 फीसदी आबादी पिछड़ी जाति की है. इसके अतिरिक्त गोमिया और बेरमो विधानसभा भी शामिल है. बोकारो में करीब 37 फीसदी पिछड़ी जाति के लोग हैं.
उप चुनाव में जीते थे बिनोद बिहारी महतो के पुत्र : झारखंड आंदोलनकारी बिनोद बिहारी महतो ने गिरिडीह संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व 1991 में किया था.
करीब एक साल सांसद रहने के बाद ही उनकी मौत हो गयी थी. इसके बाद इनके पुत्र वर्तमान विधायक राज किशोर महतो यहां से 1992 से उप चुनाव में जीते थे. इसके बाद से इस सीट से चार बार रवींद्र कुमार पांडेय जीत चुके हैं. केवल बीच में एक बार 2004 में इस सीट का नेतृत्व झारखंड मुक्ति मोरचा के टेकलाल महतो ने किया था.
बिनोद बिहारी महतो, राज किशोर महतो और टेकलाल महतो को छोड़ दें, तो अन्य सभी विजेता कोयला क्षेत्र से जुड़े रहे हैं. इसमें भारतीय जनता पार्टी की टिकट से जीतने वाले रामदास सिंह भी शामिल हैं. उन्होंने इस क्षेत्र का नेतृत्व दो बार किया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सरफराज अहमद को भी जिता कर यहां की जनता ने दिल्ली भेजा था. इस संसदीय सीट का नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दुबे भी कर चुके हैं. इसमें ज्यादातर लोग कोयला यूनियनों से जुड़े रहे हैं.
कोलियरियों ने नौकरी करनेवाले हैं बड़ा फैक्टर : इस संसदीय क्षेत्र में एक ही जाति के दो उम्मीदवारों के होने पर कोलियरियों में काम करने वाले लोग चुनाव परिणाम का बड़ा फैक्टर हैं. इसमें वैसे लोग हैं, जो दूसरे-दूसरे राज्यों से आकर यहां काम कर रहे हैं. इनके लिए चुनावी मुद्दा भी अलग है. कई लोग वर्षों से यहां नौकरी कर रहे हैं. इनके वोट को समटने की जुगाड़ में प्रमुख पार्टियां लगी है.
अब तक के सांसद
वर्ष सांसद
1957 क्वाजि एसए मैटिन
1962 ठाकुर बटेश्वर सिंह
1967 एआइ अहमद
1971 चपलेंदू भट्टाचार्या
1977 रामदास सिंह
1980 बिंदेश्वरी दुबे
1984 सरफराज अहमद
1989 रामदास सिंह
1991 बिनोद बिहारी महतो
1992 राज किशोर
महतो ( उप चुनाव)
1996 रवींद्र कुमार पांडेय
1998 रवींद्र कुमार पांडेय
1999 रवींद्र कुमार पांडेय
2004 टेकलाल महतो
2009 रवींद्र कुमार पांडेय
2014 रवींद्र कुमार पांडेय
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