-रजनीश आनंद-
लोकसभा चुनाव नजदीक है अगले महीने संभवत: तारीखों की घोषणा हो जाये. ऐसे में सभी राजनीतिक दल रेस हैं. चुनाव जीतने के लिए रणनीतियां बननी शुरू हो गयी है. सरकार उपलब्धियां गिना रही है, तो विपक्ष सरकार की नाकामी. इन सब के बीच एक सवाल है, जो
झारखंड के लिए मौजूं है. क्या इस बार कोई महिला उम्मीदवार लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचेंगी?
कैसा रहा है इतिहास
झारखंड गठन के बाद यहां के 14 लोकसभा सीट पर महिला का वर्चस्व बहुत कम ही रहा और यहां से चुनी गयीं महिला सांसदों की संख्या अंगुली पर गिनी जा सकती है. 15वीं लोकसभा में भी झारखंड से कोई महिला सांसद नहीं थीं, 14वींलोकसभा में खूंटी से कांग्रेस सांसद सुशीला केरकेट्टा और जमशेदपुर से जेएमएम से सुमन महतो चुनी गयीं थीं. 13वीं लोकसभा में दो महिला सांसद झारखंड से चुनी गयीं थीं, जिनमें जमशेदपुर से आभा महतो और धनबाद से रीता वर्मा शामिल थीं.
2014 के चुनाव में देश भर में महिलाओं की भागीदारी
2014 के लोकसभा चुनाव में देशभर में मात्र 402 महिला उम्मीदवारों ने चुनाव में भाग लिया था, जिनमें से 66 महिला उम्मीदवार लोकसभा तक पहुंचीं. जिनमें से 133 महिला उम्मीदवार निर्दलीय थीं, 39 को आम आदमी पार्टी ने टिकट दिया था, कांग्रेस ने 33 महिला को टिकट दिया, भाजपा ने 20 को, बीएसपी ने 16 को, समाजवादी पार्टी ने 16 और तृणमूल कांग्रेस ने 12 महिला उम्मीदवार को टिकट दिया था. यहां गौर करने वाली बात यह है कि बीएसपी और टीएमसी की अध्यक्ष महिला हैं.
झारखंड में महिला नेतृत्व का अभाव
यूं तो झारखंडी महिलाएं काफी सशक्त होती हैं लेकिन राजनीति में उनका नेतृत्व उस तरह से नहीं दिखता जितना सामाजिक स्तर पर दिखता है. जो महिलाएं राजनीति में सक्रिय दिखती हैं, उनमें से बहुसंख्यक परिवार के बल पर राजनीति में आयीं हैं. अपने दम पर राजनीति करने वाली महिलाएं झारखंड में बहुत कम हैं और जो हैं उनपर राजनीतिक पार्टियां विश्वास नहीं दिखाती हैं.
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