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लालू से मिलने के बाद शत्रुघ्न ने साधी चुप्पी, बोले कांग्रेस नेता सुबोधकांत- कोलेबिरा के बाद भी महागंठबंधन एक

रांची: बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा शनिवार को बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव से मिलने रिम्स अस्पताल पहुंचे. शत्रुघ्न सिन्हा के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता सुबोध कांत सहाय और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन भी नजर आये. इस मुलाकात के बाद सुबोध कांत सहाय ने कहा […]

रांची: बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा शनिवार को बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव से मिलने रिम्स अस्पताल पहुंचे. शत्रुघ्न सिन्हा के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता सुबोध कांत सहाय और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन भी नजर आये.

इस मुलाकात के बाद सुबोध कांत सहाय ने कहा कि सरकार किसानों का कर्ज माफ करे. ये पांच हजार से किसानों का कुछ होने वाला नहीं है. पांच हजार से किसानों को कोई राहत नहीं मिलेगी. महागंठबंधन के सवाल पर उन्होंने कहा कि कोलेबिरा के बाद भी और कोलेबिरा के पहले भी महागंठबंधन एक है. गंठबंधन के चेहरे में कोई बदलाव नहीं हुआ है. जो सर्वसम्मति से चेहरा बना है आगे भी वही रहेगा.

गौर हो कि झारखंड सरकार ने शुक्रवार को किसानों को हर वर्ष खरीफ फसलों की खेती के लिए प्रति एकड़ पांच हजार रुपये की सहायता देने की घोषणा की है जिसपर कांग्रेस नेता सहाय ने आज प्रतिक्रिया दी. यहां चर्चा कर दें कि शनिवार को कांग्रेस नेता शकील अहमद भी लालू से मिलने पहुंचे थे जिसके बाद से महागंठबंधन को लेकर चर्चा जोरों पर होने लगी है. हालांकि लालू से मुलाकात के बाद शत्रुघ्न सिन्हा ने मीडिया से बात नहीं किया.

इससे पहले शुक्रवार को देर शाम शत्रुघ्न सिन्हा रांची पहुंचे. रांची पहुंचने के बाद उन्होंने कहा कि वे अपने लोगों से मिलने आये हैं. यह राजनीतिक दौरा नहीं है. पत्रकारों ने जब उनसे पूछा कि क्या आप राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद से मिलने रिम्स जायेंगे, तो कहा कि उनकी इच्छा है कि उनसे मुलाकात हो जाये. हम कोई बड़े राजनेता नहीं हैं. आपका भाई हूं.

भाजपा की हार के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि पार्टी को अब भी सीख लेनी चाहिए. तीन राज्यों में जनता ने उन्हें नकार दिया है. मैंने पहले ही पार्टी को आगाह कर दिया था, लेकिन मेरी बातों को नहीं माना गया. उन्होंने कहा कि पार्टी हमेशा व्यक्ति से बड़ी होती है और पार्टी से बड़ा देश. मैं भाजपा नेता से पहले भारत का सच्चा नागरिक हूं. लोकतंत्र में सबको अपनी बात कहने का अधिकार है. इसी के तहत हमने पार्टी को आगाह किया था.

उन्होंने कहा कि अभी बहुत ज्यादा समय बर्बाद नहीं हुआ है. अब भी पुराने लोग लालकृष्ण आडवाणी, यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी सहित अन्य बड़े नेता को मना कर उन्हें गले लगायें ताकि पार्टी और मजबूत हो सके. उनसे चुनाव के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वे पहले ही कह चुके हैं कि अपना स्थान नहीं बदलेंगे. चुनाव पटना साहिब से ही लड़ेंगे. खरमास के बाद अपना निर्णय सुनायेंगे कि उन्हें क्या करना है. एयरपोर्ट पर अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के पदाधिकारियों ने उनका स्वागत किया.

Prabhat Khabar Digital Desk
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