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रांची : सारंडा में अवैध माइनिंग की स्वतंत्र एजेंसी से जांच संभव
रांची : झारखंड हाइकोर्ट में शुक्रवार को सारंडा जंगल व आसपास के क्षेत्रों में अवैध माइनिंग से हो रहे प्रदूषण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस अनिरुद्ध बोस व जस्टिस एचसी मिश्रा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए अवैध माइनिंग को बंद करने का निर्देश दिया. राज्य सरकार को […]
रांची : झारखंड हाइकोर्ट में शुक्रवार को सारंडा जंगल व आसपास के क्षेत्रों में अवैध माइनिंग से हो रहे प्रदूषण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस अनिरुद्ध बोस व जस्टिस एचसी मिश्रा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए अवैध माइनिंग को बंद करने का निर्देश दिया. राज्य सरकार को शपथ पत्र के माध्यम से 11 जनवरी तक विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.
जवाब सरकार के वरीय अधिकारी द्वारा दिया जाना चाहिए. अवैध माइनिंग के कितने मामलों में केस दर्ज किया गया. कितने लंबित है. क्या आदेश पारित किया गया है, यह भी बताया जाये. खंडपीठ ने माैखिक रूप से कहा कि सेटेलाइट मैपिंग करनी चाहिए. सेटेलाइट से अवैध माइनिंग कार्यों की लगातार मॉनिटरिंग होनी चाहिए.
खंडपीठ ने कहा कि यदि सरकार का जवाब संतोषजनक प्रतीत नहीं हुआ, तो पूरे मामले की स्वतंत्र एजेंसी से जांच भी करायी जा सकती है. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए एक फरवरी की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व प्रार्थी की अोर से वरीय अधिवक्ता राजीव रंजन व अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय ने हस्तक्षेप याचिका दायर कर अन्य मामलों समेत शाह ब्रदर्स की अवैध माइनिंग का मामला उठाया.
अधिवक्ता मे कोर्ट को दी जानकारी
रंजन ने खंडपीठ को बताया कि सेटेलाइट मैंपिंग के बावजूद सारंडा क्षेत्र में धड़ल्ले से अवैध माइनिंग चल रही है. अवैध माइनिंग से सारंडा क्षेत्र में प्रदूषण फैल रहा है. वहां की पारिस्थितिकी पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है. पूरे मामले की सीबीआइ से जांच कराने का आग्रह किया.
उल्लेखनीय है कि प्रार्थी सरयू राय ने जनहित याचिका दायर की है. उन्होंने याचिका में सारंडा जंगल व आसपास के क्षेत्रों में अवैध माइनिंग से हो रहे प्रदूषण को रोकने की मांग की है.
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