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छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव : स्टार प्रचारक रघुवर-मुंडा रहे बेअसर, मंत्री भी नहीं बचा सके साख
रांची : छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में झारखंड भाजपा की सारी रणनीति फेल हो गयी. झारखंड के स्टार प्रचारक मुख्यमंत्री रघुवर दास व पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा भी असर नहीं डाल पाये. झारखंड के मंत्री व पदाधिकारियों के द्वारा लगातार चुनाव प्रचार भी रंग नहीं ला पाया. सत्ता विरोधी लहर व विकास की राजनीति को जनता […]
रांची : छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में झारखंड भाजपा की सारी रणनीति फेल हो गयी. झारखंड के स्टार प्रचारक मुख्यमंत्री रघुवर दास व पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा भी असर नहीं डाल पाये.
झारखंड के मंत्री व पदाधिकारियों के द्वारा लगातार चुनाव प्रचार भी रंग नहीं ला पाया. सत्ता विरोधी लहर व विकास की राजनीति को जनता ने सिरे से नकार दिया है. चुनाव से पहले मुख्यमंत्री रघुवर दास ने छत्तीसगढ़ के अलग-अलग विधानसभाओं में एक दर्जन से अधिक चुनावी सभाएं की, लेकिन इसमें पार्टी के उम्मीदवार को जीत नहीं दिला पाये. पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को आदिवासी बहुल इलाकों में प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी, लेकिन कोई रणनीति सफल नहीं हुई.
झारखंड के मंत्री भी अलग-अलग विधानसभाओं में कई दिनों तक प्रचार किया. इसके अलावा झारखंड भाजपा के 75 से अधिक प्रवासी कार्यकर्ता पिछले दो माह से छत्तीसगढ़ के विभिन्न इलाकों में कैंप कर रहे थे. प्रवासी कार्यकर्ताओं को स्थानीय नेताओं के साथ सहयोग कर पार्टी उम्मीदवार के पक्ष में माहौल तैयार कराने की जिम्मेदारी दी गयी थी. वहीं, दूसरी तरफ संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह समेत पार्टी के की पदाधिकारी भी चुनाव प्रचार को लेकर छत्तीसगढ़ के विभिन्न इलाकों का दौरा किया था.
कई इलाकों में रघुवर दास ने की थी सभा
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने साजा विधानसभा के परपोड़ी, बड़े पुरदा में चुनावी सभा की थी. इस विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी बढ़त बनाये रहे. इसी प्रकार सारगढ़ विधानसभा के बरमकेला में श्री दास ने सभा की थी.
यहां भी कांग्रेस के प्रत्याशी आगे रहे. हालांकि, कुरुद व वैशाली नगर में मुख्यमंत्री की सभा का असर देखने को मिला. इन दोनों विधानसभाओं में भाजपा प्रत्याशी आगे दिखे. दूसरी तरफ बेमतारा व प्रतापपुर विधानसभा में हुई सभा का का असर नहीं दिखा. इन दोनों विधानसभाओं में कांग्रेस के प्रत्याशी आगे चल रहे थे. पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने अंबिकापुर विधानसभा के साथ कई जगहों पर चुनावी सभाएं की थी.
रिजल्ट समझ से परे : सरयू
मंत्री सरयू राय छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर सीट में चुनाव प्रचार करने गये हुए थे. वहां कांग्रेस के टीएस बाबा ने जीत दर्ज की है. रिजल्ट के बाबत पूछे जाने पर श्री राय ने कहा कि रिजल्ट हमलोगों के समझ से परे हैं. राष्ट्रीय नेतृत्व रिजल्ट की समीक्षा कर रहा है. किन वजहों से हार हुई है. इन कारणों को समझा जायेगा.
ऐसी उम्मीद नहीं की थी: चंद्रवंशी
मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने छत्तीसगढ़ के रामानुजगंज में चुनाव प्रचार किया था. यह सीट कांग्रेस की थी और दोबारा कांग्रेस ने ही जीत दर्ज की है. मंत्री ने परिणाम पर इतना ही कहा कि उम्मीद के अनुरूप परिणाम नहीं रहा. सरकार ने बहुत बेहतर काम किया था, लेकिन समझ नहीं आ रहा है कि जनता का मूड कैसे बदला.
दुर्भाग्यपूर्ण है ऐसा जनादेश : सीपी सिंह
नगर विकास मंत्री सीपी सिंह छत्तीसगढ़ के बिलासपुर और लोरमी विधानसभा में चुनाव प्रचार किया था. बिलासपुर से भाजपा के प्रत्याशी की जीती हुई है. वहीं लोरमी से जेसीसी ने जीत दर्ज की है. श्री सिंह ने कहा है कि चुनाव परिणाम दुर्भाग्यपूर्ण है. भाजपा के इतने कार्यों के बावजूद ऐसा जनादेश मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है.
परिणाम उम्मीद के विपरीत : लुईस
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के दौरान जशपुर में कल्याण मंत्री लुईस मरांडी प्रचार करने गयी थीं. जशपुर सीट कांग्रेस के खाते में गयी और भाजपा प्रत्याशी की हार हुई है. राज्य की कल्याण मंत्री लुईस मरांडी परिणाम को शॉक्ड करने वाला बताती हैं. कहती हैं कि एक भी लोग ऐसे नहीं मिले थे, जो कहे कि स्थिति खराब है.
लोकलुभावन नारों का असर : रणधीर सिंह
छत्तीसगढ़ के साजा विधानसभा क्षेत्र में प्रचार करने राज्य के कृषि मंत्री रणधीर सिंह गये थे. यह सीट कांग्रेस का खाते में चली गयी. परिणाम पर कृषि मंत्री का मानना है कि कांग्रेस के लोक लुभावन नारे से जनता प्रभावित हुई.
जनता का फैसला सिर माथे : महेश पोद्दार
राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने कहा है कि लोकतंत्र में जनता का आदेश सर्वोपरि है.भाजपा जनादेश को पूरी विनम्रता से स्वीकार करती है़ पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम अप्रत्याशित है़ 2014 के बाद देश की जनता में विकास की भूख बढ़ी है.
इन राज्यों में प्रदेश की सरकारों ने बेहतरीन काम किया, लेकिन शायद जनता की अपेक्षा उससे भी ज्यादा थी़ भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा है कि कांग्रेस ज्यादा उत्साहित न हो़ विधानसभा चुनाव व लोकसभा चुनाव अलग-अलग तरीके व मुद्दों पर होते हैं. 2019 में होनेवाला लोकसभा चुनाव में भाजपा के विजय रथ को रोकना कांग्रेस के बूते की बात नहीं है.
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