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झारखंड हाइकोर्ट भवन निर्माण : अब तक न 697.32 करोड़ रुपये का इस्टीमेट हुआ रद्द और न किसी दोषी पर कार्रवाई ही हुई

शकील अख्तर रांची : हाइकोर्ट के नये भवन के निर्माण से जुड़े टेंडर में हुई गड़बड़ी के मामले में सरकार के स्तर पर गठित कमेटी की सिफारिशाें पर अब कर काेई कार्रवाई नहीं हाे पायी है. इससे संबंधित फाइल करीब एक महीने से सरकार के किस स्तर पर लंबित है, यह पता नहीं चल पा […]

शकील अख्तर
रांची : हाइकोर्ट के नये भवन के निर्माण से जुड़े टेंडर में हुई गड़बड़ी के मामले में सरकार के स्तर पर गठित कमेटी की सिफारिशाें पर अब कर काेई कार्रवाई नहीं हाे पायी है. इससे संबंधित फाइल करीब एक महीने से सरकार के किस स्तर पर लंबित है, यह पता नहीं चल पा रहा है.
भवन निर्माण विभाग ने विकास आयुक्त की अध्यक्षता में गठित समिति की रिपोर्ट में ‌की गयी अनुशंसाओं के आलोक में सरकार से कार्रवाई की अनुमति मांगी थी. रामकृपाल कंस्ट्रक्शन हाइकाेर्ट के नये भवन का निर्माण कर रही है.
क्या थी सिफारिशें : कमेटी ने हाइकाेर्ट भवन निर्माण के 697.32 कराेड़ के पुनरीक्षित इस्टीमेट की प्रशासनिक स्वीकृति के प्रस्ताव काे निरस्त करने, परियाेजना में प्रशासनिक स्वीकृति की सीमा के अंदर कार्य पूरा करा कर कांट्रेक्ट बंद करने की बात कही थी.
इसके अलावा कमेटी ने नये कार्याें का फिर से आेपेन टेंडर कराने, 30.91 कराेड़ के काम काे हटा कर मूल निविदा निकालने आैर फिर उसी काम काे उसी ठेकेदार से कराने के दाेषी अफसराें पर कार्रवाई करने की सिफारिश की थी. कमेटी ने हाइकाेर्ट भवन निर्माण का काम करा रही ठेका कंपनी रामकृपाल कंस्ट्रक्शन काे लाभ पहुंचानेवाले अभियंताआें पर भी कार्रवाई की सिफारिश की थी. कमेटी ने कुल 11 सिफारिशें की थी.
उच्चस्तरीय कमेटी ने की थी िसफारिश
267.66 करोड़ से बढ़ा कर 697.32 करोड़ किया गया है इस्टीमेट
फर्निशिंग का काम देने में नियमों का उल्लंघन
समिति के अनुसार उन इंजीनियरों के खिलाफ कार्रवाई करनी है, जिन्होंने 366.03 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति को अपनी मर्जी से कम करते हुए 267.66 करोड़ की लागत पर काम पूरा करने के लिए टेंडर किया. टेंडर के बाद रामकृपाल कंस्ट्रक्शन के साथ 264.59 करोड़ में काम पूरा करने का एकरारनामा किया. इसके बाद बाकी बची राशि 30.91 करोड़ का काम भी उसे ही दे दिया. टेंडर के लिए कम की गयी 98.43 करोड़ में से 30.91 करोड़ की राशि निर्माण कार्यों से संबंधित थी.
समिति की अनुशंसा के आलोक में उन इंजीनियरों के खिलाफ भी कार्रवाई करनी है, जिन्होंने 88.17 करोड़ रुपये की फर्निशिंग का काम सरकारी नियमों का उल्लंघन कर उसी ठेकेदार को दे दिया. इसके अलावा उन इंजीनियरों पर भी कार्रवाई करना है, जिन्होंने अपनी शक्ति से अधिक की लागत में वृद्धि को स्वीकृत किया.
इंजीनियरों की एक समिति बनायी जानी है, जिसका काम वैसे आइटम का रेट निर्धारित करना है, जिसका उल्लेख बीओक्यू में नहीं किया गया था.

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